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‘बुनियाद’ से सुधरेगा पहली और दूसरी कक्षा का स्तर

विकासखंड बेरला में शिक्षा सत्र के प्रारंभ में पहली और दूसरी कक्षा के लिए बनाई गई विशेष कार्ययोजना 'बुनियाद'  पर अमल करने का काम शुरू हो गया है।

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Satya Narayan Shukla

Nov 12, 2016

teachers at workshop

teachers at workshop

बेमेतरा/बेरला. विकासखंड बेरला में शिक्षा सत्र के प्रारंभ में पहली और दूसरी कक्षा के लिए बनाई गई विशेष कार्ययोजना 'बुनियाद' पर अमल करने का काम शुरू हो गया है। योजना के तहत इन कक्षा के छात्राओं की अपेक्षित दक्षता को सत्र के अंत तक 80 प्रतिशत ले जाने के उपाय किए गए हैं।

बेरला ब्लॉक के चारों जोन शामिल
इस योजना को संचालित करने के लिए तत्कालीन बेरला विकासखंड शिक्षा अधिकारी ठाकुर व विकास खंड स्त्रोत समन्वयक तारकेश्वर साहू के नेतृत्व में बेरला के चारों जोन में कक्षा शिक्षक व प्रधान पाठकों को जून में प्रशिक्षण दिया गया था। उन्होंने स्वयं उपस्थित होकर इस दिशा में कार्य करने की बात कही, जिसमें तय किया गया कि स्कूल के सबसे सक्रिय शिक्षक को पहली और दूसरी कक्षा से जोड़ेंगे।

बच्चों की बुनियाद होगी मजबूत
मास्टर ट्रेनर्स और योजना के सूत्रधार के रूप में संकुल समन्वयकद्वय सुरेंद्र पटेल व ललित टिकरिहा ने बताया कि स्कूलों में बच्चों की मुख्य समस्या उनकी बुनियाद मजबूत करना होता है। कमजोर बुनियाद वाले बच्चे आगे बढ़ जाते हैं बाद की कक्षा में उनके स्तर के अनुसार शिक्षा नहीं दी जा सकती और वह हमेशा के लिए पिछड़ जाता है, इसलिए इस कार्य योजना का नाम बुनियाद रखी गयी है।

चयनित स्कूलों से ली गई फीडबैक
16 संकुलों के 32 स्कूलों के शिक्षकों को कार्ययोजना की वस्तुस्थिति जानने, आने वाली परेशानी को दूर करने और अनुभव सुनने के लिए बुलाया गया था, जिसमें उनके अनुभवों से यह ज्ञात हुआ कि इस योजना से बच्चों को उनकी कक्षानुरूप उपलब्धि स्तर को कितना आसान कर दिया है। शिक्षकों ने बताया कि तमाम समस्याओं के बावजूद इस कार्ययोजना ने हमारा काम आसान किया है।

'बुनियाद' के लिए बनी कार्ययोजना
सबसे पहले कक्षा के बच्चों की भाषा को चार स्तर वर्ण, मात्रा, शब्द एवम वाक्य में विभाजित कर लें, उसके पश्चात् बच्चों को उनके स्तर के अनुसार गृह कार्य अपने हाथों से दें और जांचे। जांचने के उपरांत जो कमजोरी दिखे उसे सुधारने का सिर्फ निर्देश न दे पुन: कार्य दें, साथ में इस बात का भी खास ध्यान रखें बच्चा जब भी लिखे तो बोल कर ही लिखे अन्यथा लिखे ही न। यही उनके पालकों से भी निवेदन करें।

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