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गरीब छात्रों का भविष्य अंधेरे में, एक बिल्डिंग बनाने में लग गए सात साल

बेमेतरा ब्लॉक के जांता गांव में संचालित मॉडल स्कूल का भवन सात साल बाद भी नहीं बन पाया है।

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Bemetara Model School

Bemetara Model School

बेमेतरा/दाढ़ी. मेधावी बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य बेमेतरा ब्लॉक के ग्राम जांता में मॉडल स्कूल का संचालन किया जा रहा है। व्यवस्थागत समस्याओं के मद्देनजर शासन ने स्कूल का प्रबंधन वर्ष 2016-17 में डीएवी सोसायटी को हैंडओवर कर दिया, लेकिन समस्याएं आज भी जस की तस है। स्कूल के लिए बनाए जा रहे भवन का काम सात साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है, ऐसे में छात्रावास भवन में जैसे-तैसे स्कूल का संचालन किया जा रहा है।

प्रदेश में चलाए जा रहे 72 मॉडल स्कूल

बेमेतरा सहित पूरे प्रदेश में 72 मॉडल स्कूलों का संचालन शुरू किया गया था। जांता में मॉडल स्कूल का संचालन 16 जून 2011 को शासकीय हाईस्कूल जांता के दो कमरों में शुरू किया गया। स्कूल खुलते ही स्कूल के लिए नए भवन का निर्माण कार्य भी शुरू किया गया। लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारी और ठेकेदार के उदासीनता की वजह से यह भवन आज तक पूरा नहीं हो पाया है। बिजली, पानी व भवन के अभाव में जैसे-तैसे 5 साल तक संचालित होने के बाद राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन स्कूल को उसकी छवि के अनुरूप समुचित सुविधा मुहैया कराने में असमर्थ रहा।

डीएवी सोसायटी को सौंपा प्रबंधन

बच्चों को शिक्षा देने में सरकारी व्यवस्था बाधा न बने इसके लिए वर्ष 2016-17 में डीएवी सोसायटी को स्कूल का प्रबंधन सौंप दिया गया। इसके बाद से स्कूल का संचालन डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल के नाम से किया जा रहा है। लेकिन आज तक जिला प्रशासन स्कूल भवन को डीएवी सोसायटी को हैंडओवर नहीं कर पाया है। नतीजतन स्कूल जांता स्थित शासकीय कन्या छात्रावास में संचालित हो रहा है। वर्तमान में स्कूल में 499 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जिसमें 70 फीसदी विद्यार्थी मॉडल स्कूल के ही हैं। शेष अन्य शिक्षा के अधिकार के तहत पढऩे वाले विद्यार्थी हैं।

गरीब छात्रों का सुनहरा भविष्य बना सपना

ग्राम पंचायत जांता के सरपंच किरण मिश्रा ने बताया कि नवागढ़ विधानसभा के गरीब छात्रों के सुनहरे भविष्य के लिए पूर्व सांसद केयूरभूषण के सपने को साकार करने व स्थानीय लोगों की मांग पर सहकारिता मंत्री डीडी बघेल ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से विशेष आग्रह कर ग्राम जांता में मॉडल स्कूल शुरू कराया। शुरुआत में शिक्षक व पुस्तकों की कमी के साथ शासकीय हाईस्कूल भवन में जैसे-तैसे संचालित किया गया। 5 साल बाद राज्य सरकार राज्य के सभी मॉडल स्कूलों का संचालन प्राइवेट सेक्टर को दे दिया गया। विडंबना है कि आज तक मॉडल स्कूल भवन अधूरा है।

पालकों के लिए बच्चों को पढ़ाना मजबूरी

पालक अजय सिंह ठाकुर, रोहित साहू, भगवानदीन, रवि देवांगन, कामता साहू ने बताया कि बच्चों को मॉडल स्कूल में 12वीं तक पढ़ाना मजबूरी हो गया है, क्योंकि मॉडल स्कूल का मुख्य उद्देश्य था कि गरीब प्रतिभावान बच्चों को बड़े शहरों में संचालित सीबीएसई कोर्स अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की भांति उच्च शिक्षा दी जाए। लेकिन वर्तमान में संसाधनों की कमी से बड़ी मुश्किल से पढ़ाई हो पा रही है। विद्यार्थी अन्य आवश्यक गतिविधियों से वंचित हैं। भवन अधूरा होने की वजह से मॉडल स्कूल का संचालन आदिवासी छात्रावास में किया जा रहा है, जहां समस्या ही समस्या है।

भवन और पानी की समस्या

डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल जांता के प्राचार्य डॉ. प्रेरणा सिंह चौहान ने बताया कि स्कूल में प्रमुख समस्या भवन और पानी की है। भवन आज तक अधूरा है। जिला प्रशासन ने आज तक स्कूल को भवन हैंडओवर नहीं किया है। यहां की समस्या दूर करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी व कलक्टर से मांग की गई है, किंतु आज तक कोई पहल नहीं की गई है। कलक्टर तो स्कूल की ओर झांकने तक नहीं आए। डीएवी के पास संसाधन तो हैं, परंतु भवन नहीं होने से वे अनुपयोगी हो रहे हैं।