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टीचर्स का हाथ थामा पालकों ने और बना दिया सरकारी स्कूल को प्रदेश की पहचान, सुविधाओं में छोड़ा निजी स्कूलों को पीछे

पुराना ढाबा स्कूल सहभागिता में भी अव्वल, जनसहयोग से जुटा रहे बेहतर संसाधन, स्कूल को राष्ट्रीय स्तर पर राज्य से किया गया है नामित

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निजी स्कूलों के बेहतर शिक्षा के दावों पर भारी पड़ रहा ये सरकारी स्कूल

बेमेतरा. शास. प्रा. स्कूल पुराना ढाबा जिले के शासकीय स्कूलों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है। स्कूल में दी जा रही नैतिक शिक्षा निजी स्कूलों के बेहतर शिक्षा के दावों पर भारी पडऩे लगा है। इस स्कूल ने जिले को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। बेरला विकासखंड के पुराना ढाबा स्कूल को स्मार्ट स्कूल होने का गौरव प्राप्त है।

यहां सबसे पहला परिवर्तन बच्चों की शैक्षिक गतिविधियों में आया। बेहतर परिवर्तन को देख कर पालक भी आगे आए। शिक्षकों ने स्वयं के खर्च पर स्कूल में स्मार्ट कक्षा लगानी शुरू कर दी। इसके बाद पालकों एवं शिक्षकों ने मिलकर योजना तैयार की और स्कूल से लोगों को जोडऩा शुरू कर दिया।

बच्चों को मिला बैग
योजना तैयार कर सबसे पहले स्कूल की शाला विकास समिति की आय से बैग खरीदकर बच्चों को निजी स्कूलों की तरह बैग दिया गया। ग्रामीणों ने बच्चों को जूता, मोजा, टाई व बेल्ट उपलब्ध कराया। इसके अलावा स्टाफ में कार्यरत रसोइया को साड़ी, सफाई कर्मी को शर्ट पेंट दिया गया। इसके बाद ग्रामीणों ने सहयोग करना शुरू कर दिया।
बच्चों ने भी कदम बढ़ाया, स्वच्छता में दिलाई पहचान
सुधार के क्रम में बच्चों के बैग की देखरेख करने की जिम्मेदारी माताओं को दी गई। इसके बाद बच्चों को कपड़े, साफ -सुथरे होने के अलावा बस्ते में बच्चे हाथ धोने के लिए साबुन, पानी की बॉटल व नेपकीन लाने लगे। साथ ही स्लेट, कॉपी, व पुस्तकों को व्यवस्थित रखा जाने लगा।

इसके बाद मध्याह्न भोजन के दौरान खाना नहीं छोडऩे व जमीन पर नहीं गिराने की पहल की गई। इसका परिणाम एक सप्ताह में ही बेहतर आया, जिसमें बच्चो के खाने के बाद भोजन स्थल पर पोछा लगाने की जरूरत नहीं पड़ी।

पहला स्कूल, जहां टाइल्स लगा
स्कूल में शिक्षकों ने फंड जमा करने के लिए स्वयं पहल करने लगे और ग्रामीण स्कूल में आकर अन्नदान करने लगे। इसके बाद ग्रामीणों से मिले आनाज को बेचकर करीब 70 हजार की राशि जुटाई गई। जिससे स्कूल में टाइल्स, गमले, अन्य समान खरीदे गए।

स्कूल में पौधारोपण के बाद सिंचाई सुविधा, स्कूल के प्रसाधन कक्षों में पानी, बच्चों के हाथ धोने के लिए पानी के लिए मोटर पंप लगाए गए। इसके बाद शेड की व्यवस्था भी की गई। जिले का पहला स्कूल है, जहां आकर्षक कक्ष, टाइल्स वाला प्रांगण व स्वच्छ प्रसाधन है।

जिले से प्रोत्साहित होकर राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान
स्कूल में आए परिवर्तन को देखते हुए जिला मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बेहतर झांकी के लिए 2017 में स्कूल को पुरस्कार दिया गया। इसके बाद शिक्षा मंत्री ने स्कूल को प्रदेश स्तर पर उत्कृष्ट होने का पुरस्कार दिया गया।

2017 -18 के लिए स्कूल को प्रदेश में राज्य स्वच्छता का दूसरा पुरस्कार मिला। इसके बाद अब स्कूल को राष्ट्रीय स्तर पर राज्य से नामित किया गया है। स्कूल प्रबंधन ने स्कूल के लिए दो वर्ष के लिए कार्ययोजना बनाकर उस पर पहल की। इन दो वर्षों में स्कूल के आलावा जिले की भी स्वच्छता के क्षेत्र में नई पहचान मिली है।

सामूहिक प्रयासों से बनी है स्कूल की पहचान
प्रधान पाठक सेवाराम राकेश ने कहा कि स्कूल की पहचान सामूहिक प्रयासों से बनी है। इसमें बच्चों, पालकों और शिक्षकों की महत्वपूर्ण सहभागिता है। ऐसे ही प्रयास से दीगर स्कूलों की तस्वीर भी बदली जा सकती है। लोगों की सोच भी बदलेगी।