मामले में एक राजनीतिक दल के नेता का ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था, जिसमें उसके द्वारा एक आवेदक के परिजन को धमकाया जा रहा था कि हजार-दो हजार में सब्जी नहीं आती। नियुक्ति कराना है तो मोटी रकम लेकर आओ। लोग घर, खेत व गहने बेचकर दे रहे हैं। नौकरी का सवाल है। इस ऑडियो के सामने आने के बाद राजनीतिक खेमे में खलबली मच गई थी।
जनपद अध्यक्ष टारजन साहू ने भर्ती प्रक्रिया नए सिरे से किए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि मामूली पदों के लिए मोटी रकम लेकर आवेदकों को गुमराह किया गया। जनपद में प्रस्ताव तो इस बात का भी किया गया था कि गत तीन साल से दोनों परियोजना कार्यालयों को जिन मदों के लिए राशि मिली, उसके व्यय की जांच हो, क्योंकि नांदघाट में बंद होटल के नाम पर फर्जी बिल बनाया गया। कांग्रेसी नेता संतोष साहू ने कहा कि अब आवेदक सीधे थाना में नामजद शिकायत करें, तभी रुपए उन्हें न्यायालय के रास्ते मिल पाएगा।
जनपद पंचायत के प्रस्ताव को तत्कालीन सीईओ विनायक शर्मा ने कलक्टर को भेजा था। सूत्रों की मानें तो सुपरवाइजरों व दलालों की वसूली का पूरा सबूत मिलने के बाद कलक्टर ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को फटकारते हुए जांच का आदेश दिया था। इसके बाद कार्यक्रम अधिकारी ने पूर्व की सभी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर नए सिरे से आवेदन करने का निर्देश दिया है।
जानकारों की मानें तो विवाद व स्थिति को देखते हुए विधानसभा चुनाव के कारण नियुक्ति लटक सकती है, क्योंकि विभाग में अभी भी वही लोग हैं, जिन लोगों ने वसूली की थी। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विबाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेंद्र कश्यप ने कहा कि नवागढ़ व नांदघाट परियोजना की नियुक्ति निरस्त कर दी गई है।