15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सीबीएसई पैटर्न के स्कूलों में गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को एडमिशन नहीं

सैंकड़ों प्राइवेट स्कूल ऐसे हैं, जो जानबूझकर गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों को अपने स्कूल में प्रवेश नहीं देते हैं, ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से सामने आया है.

3 min read
Google source verification
schoolp.jpg

बैतूल. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रत्येक प्राइवेट स्कूलों को 25 प्रतिशत गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश देना है, लेकिन सैंकड़ों प्राइवेट स्कूल ऐसे हैं, जो जानबूझकर गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों को अपने स्कूल में प्रवेश नहीं देते हैं, ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से सामने आया है, ये स्कूल खुद को अल्पसंख्यक बताकर आरटीई के तहत प्रवेश नहीं देते हैं। ऐेसे में कई बच्चे इस योजना का लाभ नहीं ले पाते हैं, तो कइ बच्चों को पढऩे के लिए दूर स्थित स्कूलों में जाने के कारण काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।

मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में सीबीएसई पैर्ट्न वाले सात स्कूल द्वारा स्वयं को अल्पसंख्यक दायरे में बताकर गरीब बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दिया जाता है। इन स्कूलों ने बकायदा अल्पसंख्यक होने का प्रमाण-पत्र भी जिला शिक्षा केंद्र में जमा कराया है। हालांकि पूर्व में आरटीई के तहत इनमें से कुछ स्कूल गरीब बच्चों को प्रवेश दे चुके हैं, लेकिन बाद में अल्पसंख्या होने का हवाला देकर स्कूल में प्रवेश देना बंद कर दिया गया।

वर्ष 2023-24 के नवीन शैक्षणिक सत्र में आरटीई के तहत गरीब बच्चों का प्रवेश इन स्कूलों में नहीं हो सका है। जिन स्कूलों ने अल्पसंख्यक होने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया है उन स्कूलों में बहुसंख्यक बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है। इससे साफ पता चल रहा है कि कई स्कूल गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश नहीं देने के लिए अल्पसंख्यक का प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर देते हैं।

आरटीई के तहत निजी स्कूलों के 25 प्रतिशत सीटें आरटीई के तहत आरक्षित करने का नियम है। इस साल साढ़े तीन हजार से अधिक निजी स्कूलों में आरटीई के तहत 2699 सीटें आरक्षित की गई थी। इनमें से 2058 सीटों पर ही एडमिशन हुआ हैं। बताया गया कि यदि किसी स्कूल में प्रथम क्लास में 100 सीटें हैं तो वहां 25 सीटें आरटीई के तहत आरक्षित रहेगी, लेकिन अल्पसंख्या स्कूलों में नियम की वजह से जिले के 7 निजी स्कूलों में आरटीई के तहत 25 प्रतिशत सीटों का नुकसान हो गया है। वर्तमान में यह स्कूल आरटीई के दायरे में नहीं आते हैं।

स्कूल में 50 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक सदस्य होना जरूरी

जिले में सात निजी स्कूलों का अल्पसंख्यक का दर्जा मिला है। इनमें कुछ तो सीबीएसई पैर्ट्न वाले स्कूल भी शामिल है। जिला शिक्षा केंद्र के मुताबिक बैतूल में सतपुड़ा वैली पब्लिक स्कूल, लिटिल फ्लावर स्कूल, सेंट टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल शामिल है। इसके अलावा पाथाखेड़ा में लिटिल फ्लावर स्कूल, बगडोना में एमजीएम हायर सेकंडरी स्कूल, आमला में प्रिंस दा किंग इंग्लिश मीडियम स्कूल एवं घोड़ाडोंगरी में सेंट फ्रांसिस स्कूल शामिल है।

जिले में सात अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान हैं, लेकिन हकीकत में वहां अल्पसंख्यक वर्ग के गरीब परिवारों के बच्चें नहीं पढ़ते। यहां पर बड़े अधिकारियों, बिजनसमैन के बच्चे पढ़ते हैं, जबकि इन पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों के बच्चों का होता है। अल्पसंख्यक के नाम पर यह स्कूल आरटीई के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश तक नहीं देते हैं। नियम कहता है कि यदि शैक्षणिक संस्था में 50 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक सदस्य हैं, तो ही अल्पसंख्यक माना जाएगा। इस नियम का शैक्षणिक संस्थाएं गलत लाभ ले रही हैं। जिसका खामियाजा क्षेत्र के गरीब बच्चों को उठाना पड़ रहा है।

यह भी पढ़ें : जीएसटी में बड़ा बदलाव : अब 5 करोड़ रुपए के टर्नओवर पर करना होगा ई-इनवाइस

जो निजी स्कूल आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दे रहे थे उनसे अल्पसंख्यक होने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने को कहा गया था। जिले के सात स्कूलों में प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया है। इन सभी स्कूलों कें आरटीई के दायरे से बाहर कर दिया गया है।स्कूल के संबंध में जानकारी राज्य शिक्षा केंद्र को भेजी गई है।।

-संजीव श्रीवास्तव, डीपीसी, बैतूल