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Independence Day 2021 : आजादी के 75 साल बाद भी फ्रीडम फाइटर की विधवा को पेंशन का इंतजार, 90 साल की उम्र में चरा रही दूसरों के मवेशी

75th Independence Day 2021 : पेंशन के लिए दर-दर भटकने के बाद फ्रीडम फाइटर द्वारका प्रसाद वर्मा ने 83 साल की उम्र में साल 2002 में खुदको लगा ली थी आग...

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बैतूल.Independence Day 2021 एक तरफ पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांव मनाने की तैयारी कर रहा है और वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के बैतूल में एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की विधवा पत्नी बदहाल जिंदगी गुजारने को मजबूर है। देश की आजादी के 75 साल बाद भी उन्हें पेंशन का इंतजार है। हालत ये है कि एक टूटी फूटी झोपड़ी में किसी तरह जिंदगी के दिन गुजार रही हैं और दो वक्त की रोटी के लिए 90 साल उम्र में फ्रीडम फाइटर की पत्नी को दूसरों के मवेशी चराने पड़ रहे हैं।

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आजादी के बाद लड़ी पेंशन की 'लड़ाई', हारकर की खुदकुशी
भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी द्वारका प्रसाद वर्मा ने साल 2002 में खुदकुशी कर ली थी। देश को आजादी दिलाने के लिए वर्मा ने अंग्रेजों के जुल्म सहे, जेल भी गए और आजादी के बाद पेंशन के लिए सालों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहे। क्या बैतूल..क्या भोपाल, क्या अधिकारी और क्या विधायक-मंत्री..ऐसा शायद ही कोई बचा हो जिससे वर्मा ने पेंशन के लिए गुहार नहीं लगाई लेकिन पेंशन नहीं मिली। सालों तक दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके फ्रीडम फाइटर द्वारका प्रसाद वर्मा ने साल 2002 में आग लगाकर खुदकुशी कर ली। द्वारका प्रसाद की मौत के बाद बच्चों ने भी बूढ़ी मां से मुंह मोड़ लिया और तब से फ्रीडम फाइटर वर्मा की पत्नी चंपाबाई बदहाली का जीवन जी रही हैं।

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अब भी पेंशन का इंतजार, टूटती जा रही है आस
बुजुर्ग चंपाबाई कहती हैं कि जब तक वो जिंदा रहे अपना हक अपनी पेंशन के लिए भटकते रहे। सरकारी दफ्तरों से लेकर मंत्रियों तक का दरवाजा तो खटखटाया लेकिन कहीं से भी मदद नहीं मिली। सब से तो कह चुके हैं अब किससे कहें कौन सुनेगा कुछ समझ नहीं आता। हैरानी की बात तो ये है कि जब तक द्वारका प्रसाद जीवित रहे उन्हें हर बार राष्ट्रीय पर्व पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के तौर पर कार्यक्रमों में आमंत्रित तो किया गया लेकिन पेंशन दिलाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। सेनानी के तौर पर मिलने वाली सुविधाओं में से अगर कुछ मिला तो सिर्फ बस यात्रा का फ्री पास।

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अधिकारी बोले जल्द पूरी करेंगे पेंशन दिलवाने की प्रक्रिया
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघ ने भी उनकी पेंशन के लिए प्रयास किये लेकिन कुछ नहीं हुआ। 19 अगस्त 2009 को तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर ने एसडीएम की एक जांच के बाद जिला कोषालय अधिकारी को भी पत्र भेजा गया था, जिससे चंपा बाई को पेंशन मिल सके लेकिन सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद भी फाइल सरकारी दफ्तर में ही कहीं दब कर रह गई। इस मामले में अब संयुक्त कलेक्टर एमपी बरार का कहना है कि वे पूरे मामले की फाइल ढूंढवाकर पेंशन दिलवाने की प्रक्रिया पूरी करेंगे।

देखें वीडियो- स्वतंत्रता दिवस से पहले फुल ड्रेस रिहर्सल