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Independence Day 2021- आतंकियों से भिड़ गईं बिंदु, बेटे का चेहरा तक नहीं देख सके

locationभोपालPublished: Aug 15, 2021 08:29:04 am

Submitted by:

deepak deewan

Independence Day 2021 सरहद और देश की रक्षा में कई जवान हुए कुर्बान …>

Independence Day 2021 75th Independence Day 2021

Independence Day 2021 75th Independence Day 2021

भोपाल. Independence Day 2021. देश की आन, बान और शान के लिए सभी भारतवासियों में खुद को समर्पित करने का जज्बा रहा है। सरहद और देश की रक्षा में प्रदेशभर से कई जवान कुर्बान हो चुके हैं। कोई अपने घर का एकमात्र चिराग था तो कोई शादी के तुरंत बाद ही देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर शहीद हो गया था।

patrika.com स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आपको बता रहा है शहीदों की दास्तां…।

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मंडला के मोहम्मद शरीफ खान महज 20 साल की उम्र में शहीद हो गए थे। १९६५ में भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। वे टैंक चलाने में माहिर थे इसलिए दुश्मनों ने खासतौर पर उन्हें निशाना बनाया था। विशेष बात यह है कि बहुत कम उम्र में ही उनके शहीद हो जाने के बाद भी छोटे भाई कासिम खान भी सेना में ही गए।


 

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मंडला के ही बिनैकी गांव के बीजे चंद्रोल जम्मू एवं कश्मीर में पदस्थ थे। एक दिन दुश्मनों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी तो चंद्रोल ने भी जवाब दिया. इसी दौरान वे शहीद हो गए। कुछ ऐसा ही मामला सिहोरा के खुड़ावल गांव के रामेश्वर पटेल का है जो सैनिक के रूप में जम्मू एवं कश्मीर के कुकवाड़ा में पदस्थ थे। सीमा पर देश की रक्षा करते हुए सन 2016 में उन्होंने वतन पर प्राण न्योछावर कर दिए।

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सिवनी के बरघाट की आदिवासी युवती बिंदु कुमरे तो क्षेत्र में बहादुरी की मिसाल बन चुकी हैं। इस सीआरपीएफ जवान की जांबाजी पर पूरा देश फक्र करता है। वे श्रीनगर हवाईअड्डे पर तैनात थीं तो आतंकियों ने हमला कर दिया। बिंदु ने तुरंत अपनी पोजीशन ले ली और आतंकियों का जमकर सामना किया. आतंकी दो किलोमीटर के घेरे में नहीं घुस सके। हालांकि देश के दुश्मनों से लोहा लेते हुए वे शहीद हो गईं। बाद में उनके परिजनों को पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया था।

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जबलपुर के तिलहरी के सैनिक सुनील कुमार शुक्ला की तो बेहद दुखद कहानी है। कुकवाड़ा में तैनाती के दौरान जब उन्हें आतंकवादियों के ठिकानों की जानकारी मिली तो वे अपने साथियों के साथ तुरंत वहां पहुंच गए. घंटों तक दोनों ओर से फायरिंग हुई. एक साथी को गोली लगने पर उसे हटाकर सैनिक शुक्ला खुद आगे आ गए और बाद में शहीद हो गए। उस समय गर्भवती पत्नी ने बाद में एक बेटे को जन्म दिया, वे अपने छोटे बेटे का चेहरा तक नहीं देख सके थे।

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