28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एमपी में गिरवी रखना पड़ा 8 साल का बेटा, गिड़गिड़ाती रही मां पर नहीं पसीजा पत्थरदिल ठेकेदार

Betul News- मध्यप्रदेश में एक मां को ​अपने जिगर के टुकड़े को गिरवी रखना पड़ा। दंपत्ति ने ठेकेदार से पैसे लिए थे लेकिन ब्याज के हजारों रुपए नहीं जुटा पाए।

2 min read
Google source verification
Mother had to mortgage her 8-year-old son to a contractor

Mother had to mortgage her 8-year-old son to a contractor

Betul News- मध्यप्रदेश में एक मां को ​अपने जिगर के टुकड़े को गिरवी रखना पड़ा। दंपत्ति ने ठेकेदार से पैसे लिए थे लेकिन ब्याज के हजारों रुपए नहीं जुटा पाए। इसके बदले में ठेकेदार ने उनके बच्चे को गिरवी रखने को कहा। बेचारी मां अपने बेटे को छोड़ देने के लिए गिड़गिड़ाती रही पर पत्थरदिल ठेकेदार नहीं पसीजा। मां को अपने 8 साल के बेटे को ठेकेदार के पास छोड़ना ही पड़ा। मामला सामने आने पर सामाजिक संगठनों ने करीब 6 साल बाद बेटे को छुड़ाया। ठेकेदार पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। इधर बच्चे को मां पिता को सुपुर्द करने के लिए कानूनी कार्यवाही चल रही है।

सन 2019 में सरिता और उसके पति ने ठेकेदार रूपेश शर्मा से 50 हजार लिए थे। दो साल तक दिनरात मेहनत कर कर्ज की राशि जोड़कर ठेकेदार को उसके पैसे लौटाने गए तो उसने ब्याज के 60 हजार रुपए और देने को कहा। दंपत्ति के पास इतने पैसे नहीं थे। ठेकेदार ने साफ कह दिया कि बेटे को गिरवी रखो, उसे यहीं छोड़ना पड़ेगा। बेचारे मां पिता आंखों में आंसू लिए लौटकर आ गए।

बच्चे से खेत पर जानवर चरवाता रहा

ठेकेदार रूपेश शर्मा, उस बच्चे से खेत पर काम करवाता रहा, जानवर चरवाता रहा। मां ने कई बार बेटे को छोड़ देने के लिए ठेकेदार से गुहार लगाई पर वो नहीं माना। जन साहस संस्था को मामले की खबर लगी तो पुलिस और प्रशासन की टीम ने करीब 6 साल बाद 12 सितंबर 2025 को बच्चे को ठेकेदार के चंगुल से आजाद कराया।

मामले में बाल श्रम कानून की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। इधर बाल कल्याण समिति ने बच्चे को छिंदवाड़ा के बालगृह भेजा है। मां पिता को उचित दस्तावेज लाने को कहा है। इसके आधार पर वे अपने बेटे को साथ ले जा सकेंगे।

जन साहस की कार्यकर्ता पल्लवी ठकराकर के अनुसार बच्चे के मां पिता के पास उसका कोई पहचान पत्र नहीं है। उनके पास केवल आंगनवाड़ी का जच्चा-बच्चा कार्ड है। पल्लवी बताती हैं कि जद्दोजहद कर बच्चे को तो छुड़ा लिया लेकिन दस्तावेज के अभाव में मां पिता अभी भी बेटे के लिए तड़प रहे हैं।

बाल कल्याण समिति बैतूल के अध्यक्ष अभिषेक जैन के अनुसार कानूनन बच्चे को सौंपने के लिए उचित दस्तावेज जरूरी हैं। माता-पिता को वैध दस्तावेजों से संबंध साबित करना होगा। संतुष्ट होने पर CWC लिखित आदेश जारी करेगी।