
भारतीय कालीन उद्घोग
महेश जायसवाल
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
भदोही. कोरोना वायरस की मार झेल रहे विश्व के कई कालीन आयातक देशों के हालात में अब सुधार आने के बाद वहां से अचानक भारतीय कालीनों की मांग आने लगी हैं। पर भारत में कोरोना की दूसरी लहर के चलते यहां का कालीन उद्योग पलायन के चलते बुनकरों की कमी के संकट का सामना कर रहा है। डिमांड बढ़ने के बावजूद बुनकरों-मजदूरों के पलायन के चलते कालीन उत्पादन में पचास फीसदी तक कि कमी आ गयी है। कोरोना संक्रमण से बने हालात में जल्द सुधार आये तो मजदूर वापसी करेंगे और इसका कालीन ऊद्योग को फायदा मिलेगा।
गौरतलब हो कि जब भारत मे कोरोना के दूसरे लहर की शुरुआत हुई उस दौरान कालीन आयात करने वाले जर्मनी, फ्रांस सहित कई देशों के हालात ठीक नही थे और वहां की सरकारों ने लाकडाउन लगा रखा था। पर अब ज्यादातर कालीन आयातक देशों में स्थितियां सुधर रही हैं। ऐसे में उन देशों से भारतीय कालीन निर्यातकों को मिले ऑर्डर को जल्द से जल्द पूरा करने का दबाव है। हालांकि इस बीच यहां दूसरी लहर के प्रकोप के चलते गैर प्रान्तों से भदोही आकर कालीन बुनाई करने वाले बुनकर पलायन कर चुके हैं।
ऐसे में कालीन ऊद्योग स्थानीय बुनकरों पर निर्भर है। इसके चलते पचास से साठ फीसदी ऑर्डर ही पूरे किए जा सकते हैं। पिछले दो तीन दिनों में कोरोना संक्रमण में आ रही कमी को लेकर निर्यातकों की उम्मीद जगी है कि अगर संक्रमण का असर कमजोर हो जाएगा तो बुनकर वापसी करेंगे और इससे कालीन ऊद्योग को मिले ऑर्डर पूरे हो सकेंगे। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के आकड़ो के मुताबिक बारह हजार करोड़ से अधिक की कालीन विदेशों में निर्यात की जाती है। जिसमें अमेरिका, जर्मनी बड़े खरीदार देश हैं।
इसे लेकर कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के सीओए मेम्बर संजय गुप्ता ने बताया कि जर्मनी, फ्रांस में लाकडाउन था लेकिन अब वहां लाकडाउन में छूट मिलना शुरू हो गया हैं। अमेरिका में भी स्थितियां काफी सुधर गयी हैं। ऐसे में वहां से मिले ऑर्डर को जल्द से जल्द पूरा करने का दबाव है। पहले से जो ऑर्डर तैयार थे उसे भेजा जा रहा है। पर बुनकरों की कमी के चलते वर्तमान समय मे उत्पादन में दिक्कतें आ रही हैं। दूसरे प्रान्त से आने वाले बुनकर कोरोना की दूसरे लहर कारण पलायन कर चुके हैं। इससे 40 फीसदी तक उत्पादन प्रभावित हुआ है।
कालीन निर्यातक इम्तियाज अंसारी ने बताया कि भदोही में जिले के अलावा बंगाल, बिहार, उड़ीसा सहित अन्य प्रान्तों के कालीन बुनकर बुनाई करते हैं और ज्यादातर बुनकर पलायन कर चुके हैं। कालीन ऊद्योग को उन बुनकरों के वापसी का इंतजार है। अब डिमांड लगातार बनी हुई है ऐसे में बुनकरों के लौटते ही उत्पादन तेज होगा।
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कालीन निर्यातक सुजीत जायसवाल ने बताया कि अलग अलग तरह की कालीन बुनाई करने वाले बुनकर हैं। गैर प्रान्तों के बुनकर हैंड नटेड कालीन अधिक बुनाई करते हैं। उनके पलायन से हैंड नॉटेड कालीनों के उत्पादन जरूर प्रभावित हुए हैं। हैंड नाटेड की अपेक्षा टफ्टेड और अन्य कालीन के उत्पादन के काम भी प्रभावित हुए हैं।
Published on:
21 May 2021 09:31 am
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