
कारपेट भदोही
भदोही. कोरोना वायरस महामारी और दुनिया भर में लॉक डाउन के असर से ठप पड़ा कालीन उद्योग अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। कमोबेश पूरी तरह निर्यात पर निर्भर कारपेट इंडस्ट्री के लिये राहत भरी बात है कि कई आयातक देशों से थोड़ी-बहुत कालीन की मांग भी आने लगी लगी है और तमाम कालीन फैक्ट्रियों में काम शुरू हो चुके हैं। उद्यमियों के मुताबिक करीब 30 फीसदी काम पटरी पर लौटा है। इस बीच बीती जनवरी से रुकी निर्यात प्रोत्साहन राशि मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है। इसमें आने वाली तकनीकी दिक्कत को दूर कर विदेश व्यापार निदेशालय ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। धीरे-धीरे ही सही कारोबार पटरी पर आने से उद्यमी खुश तो हैं लेकिन उन्हें का डर है कि अगर कोरोना का कहर बढ़ा और पहले जैसी स्थितियों से दोबारा सामना करना पड़ा तो कारोबार एक बार फिर से ठप हो सकता है।
भारत की कारपेट इंडस्ट्री का वैश्विक तौर पर कालीन के कारोबार में बेहद महत्व रखती है। भारत से 12 हजार करोड़ की कालीन विदेशों में निर्यात की जाती है। इसमें एक बड़ा हिस्सा कालीन नगरी भदोही का है। यहां इससे करीब एक लाख से अधिक लोगों का रोज़गार जुड़ा हुआ है। अमेरिका-यूरोप कालीन के सबसे बड़े आयातक देश हैं, लेकिन ये देश कोरोना के चलते खुद काफी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। दूसरी तरफ भारत मे भी कोरोना के कारण सभी काम-धंधे लगभग ठप रहे। पर सरकार ने लाकडाउन को जबसे अनलॉक करना शुरू किया और विदेशों में भी अनलॉक की प्रक्रिया बढ़ी तो बाज़ार भी खुले और लोग कोरोना के साथ जीना सीख गए। कालीन उद्योग भी अब धीरे धीरे पटरी पर लौट रहा है। कालीन उद्यमी बहादुर मौर्य दावा है कि 30 फीसदी काम पटरी पर लौटा है लेकिन आगे अगर कोरोना का कहर बढ़ा तो यह उद्योग फिर ठप हो जाएगा। उद्यमी दोबारा उद्योग ठप होने से आशंकित हैं। कालीन निर्यातक रवि पाटोदिया के मुताबिक कालीन उद्योग में अनिश्चितता का दौर है और पहले ही कोरोना के कारण यह उद्योग एक से दो वर्ष पीछे चला गया है।
निर्यात प्रोत्साहन राशि की दिक्कतें हुई दूर
कोरोना महामारी संकट और लॉक डाउन के चलते बेहद बुरे दौर से गुज़र रहे कालीन कारोबार को सरकार ने राहत दी है। हस्त निर्मित कालीनों के निर्यात पर पांच फीसदी निर्यात प्रोत्साहन राशि अब निर्यताको को आसानी से मिल सकेगी। इसके लिए विदेश व्यापार निदेशालय की ओर से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। सरकार के इस कदम से देश भर के हस्त निर्मित कालीन निर्यताको को सीधा फायदा होगा। हस्तनिर्मित कालीनों पर पहले निर्यात प्रोत्साहन राशि मिलती थी, लेकिन जनवरी 2020 में हस्तनिर्मित कालीनों का कोड बदल जाने से प्रोत्साहन राशि पाने के लिए ऑनलाइन क्लेम करने में निर्यातकों को दिक्कतें आने लगी। कालीन निर्यातकों की मानें तो कोड बदल जाने के बाद ऑनलाइन क्लेम के दौरान वेबसाइट पर नया कोड नही दिखाई पड़ता था। ऐसे में तकनीकी कारणों के चलते प्रोत्साहन राशि नही मिल पाती थी। अब विदेश व्यापार निदेशालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी करते हुए नए कोड को शामिल कर लिया है। अब इस नोटिफिकेशन के जारी होने के बाद निर्यातकों ने राहत की सांस ली है।
By Mahesh Jaiswal
Published on:
13 Jul 2020 06:43 pm
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