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इन अद्भूत शिवलिंगों के बारे जानकर आप ही चाहेंगे इनका दर्शन करना

पूरे साल लगता है भक्तों का तांता

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Shivling

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भदोही. सावन का महिना भगवान भोलेनाथ का माना जाता है। कहते है कि अगर सच्चे मन से जो भोलेनाथ से मांगा जाय उसे जरुर पूरा करते है । वहीं भोलेनाथ अलग-अलग रूप में विराजमान है। कई शिवलिंग तो ऐसे है जो अद्भुत है। भदोही जिले में ऐसे ही कई प्रचीन और अद्भूद शिवलिंग स्‍थापित हैं जिनकी अपनी विशेष मान्‍यता है। सेमराधनाथ धाम में जहां कुंए जैसी गहराई में शिवलिंग विराजमान हैं तो तिलेश्‍वरनाथ धाम में स्‍थापित शिवलिंग को लेकर मान्‍यता है कि उनका स्‍वरूप बदलता रहता है और एक वर्ष में वो तीन रंगो में अपने भक्‍तों को दर्शन देते हैं। बड़े शिव पर स्थित शिवलिंग को अज्ञातवास में पाण्‍डवों ने स्‍थापित किया था तो वहीं ज्ञानपुर के हरि‍हरनाथ धाम की मान्‍यता है कि यहां जो भी सच्‍चे मन से मांगा जाय उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। सेमराध नाथ मंदिर कोइरौना थाना क्षेत्र के गंगा के किनारे सेमराध मंदिर में भगवान् शिव का मंदिर कैसे बना इसकी भी एक अदभुत कहानी है।


बताया जाता है कि उस युग में व्यापर करने के लिए नाव का सहारा लिया जाता था । इसी कड़ी में इस मंदिर के बगल से उस समय एक व्यापारी नाव से अपना सामान लेकर जा रहा था कि अचानक उसकी नाव यहीं गंगा नदी में फंस गई। काफी प्रयास के बाद भी वो निकल नहीं रही थी । चारो तरफ घना जंगल था। जब काफी प्रयास के बाद भी नाव नहीं निकली तो व्यापारी ने उसी स्थान से रात्री विश्राम करने की सोची और वो वहीं सो गया । रात में उसे स्वपन में भगवान् शिव का दर्शन हुआ और भोले ने उससे कहा तुम इस स्थान पर खुदाई करवाओ यहां मैं विराजमान हूं । व्यापारी ने ऐसा ही किया और उसने अगले दिन से यहां खुदाई करवाना शुरू करवा दिया। खुदाई के दौरान उसे शिव जी का शिवलिंग दिखा तो उसने सोचा की वह इसे अपने साथ ले जाये लेकिन उसके वे जितना पास पहुंचते वो उतना ही नीचे चला जाता किसी तरह से भगवान की शिवलिंग पर भोले का मंदिर बनवा दिया गया जिस कारण आज भी वो मंदिर एक कुए नूमे गड्डे में है । इस पूरे प्रकरण का उल्लेख पदं पुराण और श्रीमद् भागवत में भी मिलता है। पूरे सावन माह यहां दर्शन करने वालों का ताता लगा रहता है लोग यहां आ कर गंगा में नहा के भगवान भोले के इस अलुकिन स्वरुप का दर्शन करते है।


तिलेश्वर नाथ धाम
तिलेश्वर नाथ धाम माना जाता है कि महाभारत के समय पांडवों ने अपने अज्ञातवाश के समय गंगा में स्नान करने के बाद गोपीगंज थाना क्षेत्र के तिलंगा नाम की जगह पर इस विशाल शिवलिंग को स्थापित किया था उस समय यह स्थान काशी के तिलंगा में था। तब से यह शिवलिंग आस्था का केंद्र बनी है। यहां दूर से दर्शनार्थी भोलेनाथ की महिमा को देखने आते है। सबसे अदभुत होता है इस शिवलिंग के रंग बदलने का राज इस मौसम में यह शिवलिंग गेहुए रंग की हो जाती है , ठंडी में काले तो भीषण गर्मी में सफेद्पन आ जाता है । वही साल में एक बार शिवलिंग से पपड़ी निकलती है लेकिन इसके बावजूद भी शिवलिंग घटता नहीं बल्‍की तिल के समान इसमें बढ़ोत्‍तरी हो जाती है।
वाराणसी इलाहबाद हाईवे के नजदीक गोपीगंज में यह मंदिर है पुरे सावन के महीने में इस मंदिर पर दर्शनार्थियों की भारी भीड़ जुटती है । दर्शनार्थी दूर दूर से यहां आते है। यहां प्रमुख तौर से बेलपत्र चढ़ाया जाता है और दूध से अभिषेक किया जाता है । लोगों की मान्यता है कि अगर सच्चे मन से यहां भोलेनाथ से जो भी मांगा जाये वह पूरा होता है । बड़े शिव गोपीगंज नगर में स्थिति बाबा बड़े शिव धाम में भी सावन भर भक्तों का जनसैलाब देखने को मिलता है। मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी बाद में मंदिर बनाया गया। आज यहां भव्य मंदिर बना हुआ है और मंदिर में विराजमान शिवलिंग का दर्शन करने लोग दूर दूर से पहुंचते हैं। यहां कांवड़ियों की भी भारी संख्या देखने को मिलती है। हरिहर नाथ मंदिर ज्ञानपुर में हरिहरनाथ मंदिर में बहुत ही आकर्षक शिवलिंग स्थापित है। मंदिर परिसर के पास एक भव्य तालाब है जिसे ज्ञान सरोवर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि शिवलिंग ओर अर्पित किए जाने वाला जल सीधे तालाब में जाकर मिलता था और चर्म रोग से पीड़ित अगर इस तालाब में स्नान कर लेते थे तो उनका रोग समाप्त हो जाता था। अब आधुनिक समय मे इस तालाब में कोई स्नान तो नही करता लेकिन बाबा हरिहरनाथ के दर्शन के लिए पूरे वर्ष भक्त्तों का तांता लगा रहता है।
BY- mahesh Jaiswal