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Teacher Day Spacial Story: शिक्षक ने अपने खर्चे से सरकारी स्कूल को बनाया स्मार्ट, प्रोजेक्टर से होती है पढ़ाई

locationभदोहीPublished: Sep 05, 2018 09:25:55 pm

ऐसा शिक्षक जिसने अपने खर्चे से बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत, चितईपुर विद्यालय की शिक्षक ने बदली तस्वीर।

Smart Class

स्मार्ट क्लास

महेश जायसवाल

भदोही. सूबे के प्राईमरी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्‍तर का हाल किसी से छिपा नहीं है। पर कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जो प्रदेश में शिक्षा के प्रति निष्क्रिय शिक्षकों को आईना दिखा रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण भदोही जिले के चितईपुर प्राथमिक विद्यालय में देखा जा सकता है। यहां एक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अरविंद पाल ने सरकारी स्कूल के बदहाल क्लासरूम को स्मार्ट क्लास में बदल दिया। वह भी बिना किसी सरकारी मदद के। इसका पूरा खर्च उन्होंने अपने वेतन से वहन किया। उनका मकसद बच्‍चों को बेहतर शिक्षा देना है और इसी के लिये उन्होंने यह कदम उठाया है।
पिछले तीन साल से ज्यादा समय से विद्यालय में बच्चों को स्मार्ट क्लास में कम्यूटर और प्रोजेक्टर के जरिये पढ़ाया जा रहा है। बच्चे भी आनंद लेकर पढ़ाई करते हैं और स्कूल में आने वाले बच्चों की तादाद में भी इजाफा हुआ है। यही नही विद्यालय का स्वरूप भी अन्य विद्यालयों की अपेक्षा बहुत ही सुंदर है। इसमें अरविंद पाल का भरपूर योगदान है। लगभग 35 हजार रूपए के खर्च करके चितईपुर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक अरविंद पाल ने स्‍मार्ट क्‍लास की शुरूआत लगभग आज से तकरीबन तीन साल पहले की थी।
 

अरविंद को यह स्मार्ट क्लास शुरू करने का खयाल तब आया जब उन्होंने महसूस किया कि बच्‍चों को पढ़ाई के दौरान कुछ समझने में परेशानी आती है। इसके बाद उन्होंने कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर स्मार्ट क्लास के लिये कवायद शुरू कर दी। पर यह पूरा कैसे होता, क्योंकि सरकारी फंड मिलना नामुमकिन सा था। पर उन्होंने हार नहीं मानी और अपने दम पर ही इसे करने की ठान ली। उन्होंने 35 हजार रुपये खर्च करके साधारण से बदहाल क्लास को स्मार्ट कलास में बदल दिया।
उसका नतीजा हुआ कि बच्चे अब बहुत शौक से विद्यालय में पढ़ने आने लगे। स्मार्ट क्लास के जरिये पढ़ाई करने में भी काफी मदद मिलने लगी। शिक्षक अरविंद पाल स्कूल को हाईटेक कर बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। इसके लिये वो छुट्टी भी नहीं लेते। उनका मानना है कि जब सरकारी विद्यालय के बच्‍चों को शिक्षक अपना बच्‍चा मानने लगेंगे तो इस तरह की पहल करना कोई बड़ी बात नहीं होगी।
उनकी ख्वाहिश है कि देश का हर बच्‍चा आधुनिक तकनीक के माध्‍यम से भी शिक्षा प्राप्‍त करे और यह सपना तभी साकार होगा जब सरकारी स्‍कूलों के शिक्षक नई पहल की ओर अपना कदम बढ़ायेंगे। उन्‍होंने बताया कि बच्‍चों को स्‍मार्ट क्‍लास से पढ़ाई करने और उसे समझने में काफी आसानी होगी। कहा कि स्‍मार्ट क्‍लास में अगर बिजली की समस्‍या आयेगी तो वो आगे एक इनवर्टर की भी व्‍यवस्‍था करेंगे ताकि बिजली के आभाव में बच्‍चों को स्‍मार्ट क्‍लास में पढ़ाने में कोई परेशानी न आए।
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