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प्रदेश के 11 इंजीनियरिंग कॉलेज सिर्फ नाम के सरकारी, विद्यार्थियों की फीस पर हो रहा संचालन

भरतपुर.प्रदेश के करीब एक दर्जन इंजीनियरिंग कॉलेज ऐसे हैं जिनके नाम में तो राजकीय लिखा है लेकिन हकीकत में आज भी इन कॉलेजों को सरकारी दर्जा नहीं मिल पाया है। प्रदेश के भरतपुर समेत 11 इंजीनियरिंग कॉलेजों का संचालन आज भी तकनीकी शिक्षा विभाग के बजाय स्वायत्तशासी समितियों के अधीन हो रहा है।

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भरतपुर.प्रदेश के करीब एक दर्जन इंजीनियरिंग कॉलेज ऐसे हैं जिनके नाम में तो राजकीय लिखा है लेकिन हकीकत में आज भी इन कॉलेजों को सरकारी दर्जा नहीं मिल पाया है। प्रदेश के भरतपुर समेत 11 इंजीनियरिंग कॉलेजों का संचालन आज भी तकनीकी शिक्षा विभाग के बजाय स्वायत्तशासी समितियों के अधीन हो रहा है। ऐसे में इन इंजीनियरिंग कॉलेजों के संचालन का भार पूरी तरह से विद्यार्थियों की फीस से वहन किया जा रहा है। वहीं पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय प्रदेश के ऐसे कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों को सरकारी नियंत्रण में लेने की योजना भी बनी लेकिन वो भी ठण्डे बस्ते में चली गई।

विद्यार्थी दे रहे तीन गुणा अधिक फीस
समितियों के अधीन संचालित इंजीनियरिंग कॉलेजों को सरकार सिर्फ भवन निर्माण के लिए ही बजट देती है। बाकी कॉलेजों के संचालन का पूरा खर्चा विद्यार्थियों की फीस से निकाला जा रहा है। यहां तक की कॉलेज फैकल्टी व स्टाफ के वेतन का खर्चा भी विद्यार्थियों की फीस से निकाला जा रहा है।

विद्यार्थियों को देनी पड़ रही तीन गुणा अधिक फीस
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को करीब 22 से 25 हजार रुपए फीस जमा करानी होती है लेकिन समितियों के अधीन संचालित इन इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए 6 0 से 6 5 हजार रुपए प्रति विद्यार्थी देनी पड़ती है।

पहले ये बनी थी योजना
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय समितियों के अधीन संचालित चार अभियांत्रिकी महाविद्यालयों (महिला अजमेर, अजमेर, झालावाड़ व बारां) को तकनीकी शिक्षा विभाग के अधीन लेने की योजना बनी थी। इसके तहत तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से 23 अक्टूबर 2017 को उक्त महाविद्यालयों से स्टाफ, वेतन, विद्यार्थी आदि से संंबंधित जानकारी भी मांगी गईलेकिन बाद में यह योजना ठण्डे बस्ते में चली गई।

समितियों के अधीन ये कॉलेज संचालित
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, भरतपुर
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, धौलपुर
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय करौली
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय अजमेर
- राजकीय बालिका अभियांत्रिकी महाविद्यालय अजमेर
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर
-राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय झालावाड़
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय बारां
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय बांसवाड़ा
- राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय बाड़मेर
- एमएलबी कॉलेज भीलवाड़ा


अभी कोई योजना नहीं
समितियां भी सरकार की ही हैं।यह सही है कि इन इंजीनियरिंग कॉलेजों में सरकारी के बजाय अधिक फीस होती है। अभी सरकार की बहुत सारी योजनाएं बननी हैं। समितियों के अधीन संचालित इंजीनियरिंग कॉलेजों को सरकार के नियंत्रण में लेने की अभी कोई योजना नहीं है।
- डॉ. सुभाष गर्ग, तकनीकी शिक्षा, संस्कृत शिक्षा व चिकित्सा राज्यमंत्री