गत वर्ष भी मिला था 350 एमसीएफटी पानी गोवर्धन कैनाल से पिछले साल भी भरपूर पानी मिला था। घना में गत वर्ष कुल 392 एमसीएफटी पानी पहुंचा था। इसमें अकेले गोवर्धन कैनाल से करीब 350 एमसीएफटी पानी आया। हालांकि, रही सही कसर चंबल लिफ्ट परियोजना से मिले पानी से पूरी हो गई। जिसकी बदौतल घना में बोटिंग हो पाई थी। हालांकि, इस बार भी अक्टूबर अंत या नवम्बर से बोटिंग शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। घना में हमेशा पर्यटकों को बोटिंग लुभाती रही है।
विकल्प के तौर पर डाली थी पाइप लाइन चंबल लिफ्ट परियोजना से सीमित पानी को देखते हुए घना के लिए विकल्प के तौर साल 2013 में अलग से गोवर्धन कैनाल का पानी लाने के लिए पाइप लाइन घना तक डाली गई थी। इसके लिए सांतरुक के पास पंप हाउस बनाया गया है। जहां पर 8 पंप लगे हुए हैं और इनके जरिए पानी लाइन में फेंका जाता है। गोवर्धन कैनाल का पानी घना के भैंसा मोरी के पास तक आता है और इसके बाद सांपन मोरी के जरिए पानी उद्यान के विभिन्न ब्लॉकों में छोड़ा जाता है।
चंबल लिफ्ट से एक सीजन में 62 एमसीएफटी पानी चंबल लिफ्ट परियोजना मुख्य तरह शहरी पेयजल प्रोजेक्ट है जिससे पहले लोगों के लिए पानी देना प्राथमिकता है। लेकिन परियोजना की स्वीकृति के समय तय हुआ था कि घना को भी हर साल चंबल लिफ्ट परियोजना से करीब 62 एमसीएफटी पानी मिलेगा। इस पानी का उपयोग घना प्रशासन संकट के समय करता है जब मानसूनी बरसात नहीं होती है और गोवर्धन जैसे वैकल्पिक स्रोतों से भी पानी नहीं मिल रहा है। तब चंबल लिफ्ट परियोजना से पानी घना में लिया जाता है। चंबल परियोजना तैयार होने के बाद पहली बार अक्टूबर 2011 में पानी घना में छोड़ा जो फरवरी 2012 तक चला। तब पहली बार 297 एमसीएफटी पानी मिला था। करौली जिले के पांचना से पानी बंद होने पर चंबल लिफ्ट परियोजना घना के लिए खासी महत्वपूर्ण योजना बनकर उभरी थी।
– मोहित गुप्ता, निदेशक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान