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देर से ही सही पर घना में आया 485 एमसीएफटी पानी, विंटर सीजन बचा

locationभरतपुरPublished: Sep 20, 2020 10:27:47 pm

Submitted by:

rohit sharma

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए किसी समय पर पांचना का पानी जीवनदायनी से कम नहंी होता था लेकिन अब उसकी भूमिका गोवर्धन कैनाल ने संभाल ली है।

देर से ही सही पर घना में आया 485 एमसीएफटी पानी, विंटर सीजन बचा

देर से ही सही पर घना में आया 485 एमसीएफटी पानी, विंटर सीजन बचा

भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए किसी समय पर पांचना का पानी जीवनदायनी से कम नहंी होता था लेकिन अब उसकी भूमिका गोवर्धन कैनाल ने संभाल ली है। जल संकट से गुजर रहे विश्व प्रसिद्ध पक्षियों की दुनिया घना को गोवर्धन कैनाल ने फिर से राहत दी है। कैनाल अभी तक करीब 485 एमसीएफटी से अधिक पानी मिल चुका है जो घना के लिए किसी अमृत से कम नहीं है। हालांकि, अभी भी कैनाल से पानी की आवाक जारी है और इसके 550 से अधिक आने की संभावना है। जो कि पार्क की प्रति सीजन की जरुरत के मुताबिक है।
उद्यान को हर साल विंटर सीजन के लिए करीब 550 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है। लेकिन इस बार मानसून के दगा दे जाने से घना में पानी का संकट बना हुआ था। थोड़ा बहुत जो पानी वन्यजीव के लिए मिल रहा था वह चंबल लिफ्ट परियोजना से था। लेकिन अगस्त के अंतिम दिनों में एनसीआर इलाके में हुई बरसात का घना को लाभ मिला है। एनसीआर में बरसात होने से गोवर्धन कैनाल में पानी आ गया, जो घना पहुंचा। हालांकि, अधिकारी पानी को देरी से आना बता रहे हैं लेकिन उसके बाद भी आगामी विंटर सीजन को बचाए रखने के लिए यह बेहद जरुरी था। बीच में पानी की कमी के चलते पक्षियों के अपना ठिकाना बदल लिया था। लेकिन रुक-रुक कर हुई थोड़ी बरसात से नेस्टिंग को डिस्टर्ब होने से बचा लिया।

गत वर्ष भी मिला था 350 एमसीएफटी पानी

गोवर्धन कैनाल से पिछले साल भी भरपूर पानी मिला था। घना में गत वर्ष कुल 392 एमसीएफटी पानी पहुंचा था। इसमें अकेले गोवर्धन कैनाल से करीब 350 एमसीएफटी पानी आया। हालांकि, रही सही कसर चंबल लिफ्ट परियोजना से मिले पानी से पूरी हो गई। जिसकी बदौतल घना में बोटिंग हो पाई थी। हालांकि, इस बार भी अक्टूबर अंत या नवम्बर से बोटिंग शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। घना में हमेशा पर्यटकों को बोटिंग लुभाती रही है।

विकल्प के तौर पर डाली थी पाइप लाइन

चंबल लिफ्ट परियोजना से सीमित पानी को देखते हुए घना के लिए विकल्प के तौर साल 2013 में अलग से गोवर्धन कैनाल का पानी लाने के लिए पाइप लाइन घना तक डाली गई थी। इसके लिए सांतरुक के पास पंप हाउस बनाया गया है। जहां पर 8 पंप लगे हुए हैं और इनके जरिए पानी लाइन में फेंका जाता है। गोवर्धन कैनाल का पानी घना के भैंसा मोरी के पास तक आता है और इसके बाद सांपन मोरी के जरिए पानी उद्यान के विभिन्न ब्लॉकों में छोड़ा जाता है।

चंबल लिफ्ट से एक सीजन में 62 एमसीएफटी पानी

चंबल लिफ्ट परियोजना मुख्य तरह शहरी पेयजल प्रोजेक्ट है जिससे पहले लोगों के लिए पानी देना प्राथमिकता है। लेकिन परियोजना की स्वीकृति के समय तय हुआ था कि घना को भी हर साल चंबल लिफ्ट परियोजना से करीब 62 एमसीएफटी पानी मिलेगा। इस पानी का उपयोग घना प्रशासन संकट के समय करता है जब मानसूनी बरसात नहीं होती है और गोवर्धन जैसे वैकल्पिक स्रोतों से भी पानी नहीं मिल रहा है। तब चंबल लिफ्ट परियोजना से पानी घना में लिया जाता है। चंबल परियोजना तैयार होने के बाद पहली बार अक्टूबर 2011 में पानी घना में छोड़ा जो फरवरी 2012 तक चला। तब पहली बार 297 एमसीएफटी पानी मिला था। करौली जिले के पांचना से पानी बंद होने पर चंबल लिफ्ट परियोजना घना के लिए खासी महत्वपूर्ण योजना बनकर उभरी थी।
– घना में गोवर्धन कैनाल से पानी लिया जा रहा है। दो-तीन में 500 एमसीएफटी पानी पहुंच जाएगा। हालांकि, पानी देरी से मिला लेकिन इसके बाद भी यह पानी घना की जरुरत पूरी करेगा और विंटर सीजन बेहतर हो सकेगा।
– मोहित गुप्ता, निदेशक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
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