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किशोरी दो माह से मां बनकर पाल रही थी मां और भाई—बहन को

किशोरी की उम्र भले ही कम थी मगर सोच और हौसले बड़े थे।

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bharatpur aids victim died case

RBM Hospital

भतपुर। किशोरी की उम्र भले ही कम थी मगर सोच और हौसले बड़े थे। जिला प्रशासन और मददगार से मदद मिलने से छोटे भाई के दिल्ली से आने पर सोमवार देर शाम एड्स पीड़ित मां का शव लेकर लखी सराह (बिहार) चली गई। दो माह पहले असहाय मां जब बिस्तर पर चली गई तो किशोरी ने परिवार की कमान संभाल ली। स्कूल जाना बंद कर दिया और बीमार मां की सेवा में जुट गई।

किशोरी इतने दिनों से एक मां की तरह असहाय मां और छोटे भाई—बहन की परवरिश कर रही थी। इधर, आरबीएम अस्पताल में एड्स पीड़ित महिला के साथ भेदभाव और लापरवाही पर बीएपी प्लस के अध्यक्ष ने पीएम, सीएम, कलक्टर और पीएमओ को पत्र लिखकर जांच की मांग की है।

राजस्थान पत्रिका की आरबीएम अस्पताल में महिला के साथ इंसानियत की भी मौत शीर्षक से मंगलवार को प्रकाशित खबर की अस्पताल और शहर में चर्चा होती रही । अस्पताल में मरीज और तीमारदारों की जुबान पर किशोरी की सोच और धैर्य की बातें थी। एड्स पीड़ित मां की मौत और अस्पताल में नर्सिंग कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर रो—रोकर बयां कर रही थी। उनका कहना था कि जब भगवान रूठ गया तो ये (नर्सिंगकर्मी) तो इंसान है। किशोरी की मां उसे पढ़ाना चाहती थी। आज वो चली गई। अब हमारा कोई नहीं है। जब मां को बीमारी ने घेर तो दो माह से बिस्तर पर थी। उसने स्कूल जाना छोड़ दिया और मां की सेवा में लग गई। सभी भाई—बहन मां के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते थे।

जांच हो और दोषी को मिले सजा
एड्स पीड़िता को स्ट्रेचर और व्हीलचेयर न मिलने की राजस्थान पत्रिका की खबर पर बीएनपी प्लस के भरतपुर जिल अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने जांच और दोषी नर्सिंग कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। गजेंद्र सिंह को आरबीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ. केसी बंसल को एक पत्र दिया। इसके साथ ही पीएम,सीएम, संभागीय आयुक्त, जिला कलक्टर अहित अन्य अधिकारियों से मामले की जांच किसी दूसरी एजेंसी से कराने और दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। गजेंद्र सिंह ने बताया कि एड्स पीड़ित की मौत के बाद बच्चों को पालनहार योजना और अंत्योदया योजना का लाभ मिलता है। बच्चों की मददके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।