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Rajasthan Chunav Result: बदलाव की बयार में भी वसुंधरा राजे के गढ़ में भाजपा का सूपड़ा साफ

Rajasthan Chunav Result 2023: 2018 में बसपा-रालोद समेत 18 सीट जीतने वाली कांग्रेस को इस बार महज सात सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। भाजपा के खाते में नौ सीट गई हैं। भरतपुर में कांग्रेस तो धौलपुर में भाजपा का खाता नहीं खुला।

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मेघश्याम पाराशर की रिपोर्ट

राजस्थान का पूर्वी प्रवेश द्वार प्रदेश को चौंकाता रहा है। वर्ष 2018 में बसपा-रालोद समेत 18 सीट जीतने वाली कांग्रेस को इस बार महज सात सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है। वहीं भाजपा के खाते में नौ सीट गई हैं। भरतपुर में कांग्रेस और धौलपुर में भाजपा खाता तक नहीं खोल सकी। धौलपुर जिले में तीन सीटें कांग्रेस के खाते में और एक बसपा को मिली। करौली और सवाईमाधोपुर में दोनों ही बड़े दल बराबरी पर रहे। संभाग में कांग्रेस के गढ़ में इस बार भाजपा ने इस कदर सेंध लगाई कि परिणाम चौंकाने वाले आए।


चार जिलों के वोटर्स ने 2018 के उलट परिणाम दिया। पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के गढ़ धौलपुर में भाजपा की सिर्फ एक सीट आई थी, जबकि कांग्रेस का दबदबा 18 सीटों पर रहा था। इस बार भरतपुर में भाजपा को पांच, एक पर आरएलडी, एक पर निर्दलीय, धौलपुर में तीन कांग्रेस, एक बसपा, सवाईमाधोपुर व करौली में दो-दो सीट कांग्रेस व भाजपा को मिली हैं। कांग्रेस को भरतपुर में समर्थित प्रत्याशी आरएलडी के डॉ. सुभाष गर्ग की जीत से ही संतोष करना पड़ा है। भरतपुर के डीग-कुम्हेर से पूर्व राजपरिवार के सदस्य कांग्रेस प्रत्याशी विश्वेन्द्र सिंह को भाजपा के डॉ. शैलेष सिंह ने हराया।

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इससे पहले भी 2008 में शैलेष के पिता दिगंबर सिंह के सामने विश्वेन्द्र सिंह को हार का सामना करना पड़ा था। दो बार की विधायक व राज्यमंत्री जाहिदा खान को भी पार्टी के बागी के कारण करारी हार का सामना करना पड़ा। सवाईमाधोपुर जिले के खंडार से कांग्रेस के पूर्व मंत्री अशोक बैरवा, करौली जिले के सपोटरा से कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री रमेश मीणा, बाड़ी से भाजपा के गिर्राज सिंह मलिंगा को जनता ने नकार दिया।


वैसे कांग्रेस को इस बार प्रत्याशियों के विरोध का सामना भी करना पड़ा है। भले ही टिकट वितरण में नवाचार की भूमिका निभाने की कोशिश की गई, लेकिन ऐन वक्त पर यह मंशा पूरी नहीं कर पाए। परिणाम में यह भी चौंकाने वाली बात रही कि करौली में एक भी वर्तमान विधायक नहीं जीत सका तो धौलपुर, सवाईमाधोपुर में दो-दो व भरतपुर में महज एक ही विधायक दुबारा जीत दर्ज करा सके।

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