
भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय पक्ष उद्यान में 24 साल बाद कृष्ण मृग का दीदार होगा। यहां एक नर एवं तीन मादा कृष्ण मृग पहुंच गए हैं, जिन्हें फिलहाल विशेष क्लोजर में रखा गया है। अब इन्हें स्वतंत्र भ्रमण के लिए छोड़ा जाएगा। इसके बाद यहां आने वाले सैलानी इनका दीदार कर सकेंगे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान जयपुर के आदेश एवं मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं क्षेत्र निदेशक रणथम्भौर बाघ परियोजना सवाईमाधोपुर के निर्देशन में उप वन संरक्षक करौली के क्षेत्र से चार काला हिरण (कृष्ण मृग) एक नर एवं तीन मादा का प्रति स्थापन करीब 24 साल बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में किया गया है। पूर्व में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में काफी संख्या में यह मृग पाए जाते थे, लेकिन वर्ष 1999 में इनकी संख्या घटते-घटते केवल एक रह गई।
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वर्ष 2000 में इस उद्यान से कृष्ण मृग विलुप्त हो गया। उप वन संरक्षक वन्यजीव नाहर सिंह सिनसिनवार ने बताया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जयपुर के प्रयासों से करीब 24 वर्ष बाद इस पार्क में चार कृष्ण मृग प्रति स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में इन्हें विशेष क्लोजर में रखा गया है। बाद में इन्हें पार्क के वुडलेंड क्षेत्र में स्वतंत्र भ्रमण के लिए छोड़ा जाएगा। इसके बाद केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों को अब कृष्ण मृग देखने को मिल सकेंगे।
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प्रकृति का संतुलन बनाने में सहायक
घना के डीएफओ नाहर सिंह ने बताया कि कृष्ण मृग यहां से काफी पहले विलुप्त हो चुके हैं। यह प्रकृति का संतुलन बनाने में सहायक होते हैं। ऐसे में इन्हें यहां लाया गया है। पर्यटक तो इन्हें देखने का लुत्फ उठाएंगे ही। यह फूड चैन का हिस्सा हैं। ऐसे में घना में पाए जाने वाले अन्य वन्यजीवों में भी प्राकृतिक संतुलन बना रहेगा।
Updated on:
20 Jun 2023 03:03 pm
Published on:
20 Jun 2023 02:52 pm
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