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बहादुर बेटियां: अब सिसकी नहीं सिखाएंगी सबक

- स्कूली बेटियां सीख रहीं आत्मरक्षा के गुर

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बहादुर बेटियां: अब सिसकी नहीं सिखाएंगी सबक

बहादुर बेटियां: अब सिसकी नहीं सिखाएंगी सबक

भरतपुर . चिडिया नाल जब बाज लड़ावा ता गोविंद सिंह नाम कहावा ... की तर्ज पर अब बेटियों की बहादुरी को गढऩे का काम कर रही हैं शारीरिक शिक्षक मोनिका ढिठेनिया। यूं तो बेटियां आत्मविश्वास से लबरेज हैं, लेकिन उनके साहस को चार-चांद लगाने के लिए जी-जान से जुटी मोनिका अब तक करीब आठ हजार बेटियों को अपने हुनर की बारीकियों और विधा से सशक्त बना चुकी हैं।
मुख्य प्रशिक्षक के रूप में मोनिका पहले विभिन्न स्कूलों में कार्यरत महिला शारीरिक शिक्षकों को इसकी बारीकियां बताती हैं। इसके बाद यह शारीरिक शिक्षक प्रशिक्षण के बाद सरकारी स्कूलों में बेटियों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बना रही हैं। ऊंचा गांव के सरकारी स्कूल में तैनात मोनिका कहती हैं कि कोमल तन-मन बेटियों के लिए ईश्वर का वरदान है, लेकिन इनका साहस भी ईश्वरीय देन सरीखा है। मोनिका कहती हैं कि बेटियों के लिए यह बेहद अहम रखता है कि उन्हें कोई घूरे तो वह भी उन्हें आंख से आंख मिलाकर जवाब दें। यही विधा उनके ताउम्र काम आएगी। प्रशिक्षण में पारंगत होने के बाद बेटियां की अब सिसकी नहीं निकलेगी, बल्कि वह घूरने वालों को सबक सिखाने का काम करेंगी। मोनिका वर्तमान में सेवर रोड स्थित बीएस पब्लिक स्कूल में जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा की ओर से चल रहे छह दिवसीय रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर में महिला शारीरिक शिक्षकों को बतौर मुख्य ट्रेनर विधा की बारीकियां बता रही हैं। 'हर कदम बेटी के संग, हमारे सपने हमारी उड़ान की टेग लाइन के साथ राज्य सरकार की ओर से बेटियों को बहादुर बनाने के लिए यह प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। मुख्य ट्रेनर मोनिया ने बताया कि प्रशिक्षण में खास तौर से बेटियों को मानसिक एवं शारीरिक रूप से मजबूत बनाने की जानकारी दी जा रही है। इसमें गुड टच-बेड टच, भीड़भाड़ वाले स्थान पर खुद को सुरक्षित करने, सुनसान रास्तों से नहीं निकलने, सेफ्टी पिन, नेल कटर एवं पेन आदि पैनी चीजें साथ रखने आदि के बारे में बताया जा रहा है, ताकि विपरीत परिस्थितियों में बेटियां सुरक्षा खुद कर सकें।

पांच साल से दे रही प्रशिक्षण

राज्य सरकार की ओर से बेटियों को महफूज करने के लिए शुरू किए गए इस कार्यक्रम से मोनिका वर्ष 2016 में जुटी हैं। इसके लिए वह ब्लॉक की शारीरिक शिक्षकों को ट्रेनिंग देती हैं। इससे पहले वह खुद भी आरपीए से ट्रेनिंग ले चुकी हैं। इससे पहले वह कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में अध्ययनरत बालिकाओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। मोनिका बताती हैं कि ट्रेनिंग में मुख्य रूप से पंचेज बनाने (नाजुक अंगों पर वार करने की विधा), किक्स (मुश्किल परिस्थितियों में खुद को महफूज करने), पॉल्स (हरकत करने वाले को परास्त करने) एवं थ्रोज (सामने वाले पर अटेक करने की बारीकी) सिखा रही हैं, जिससे बेटियां मुश्किल से मुश्किल वक्त में भी खुद को सुरक्षित रख सकें।