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प्रदेश में पहली बार खेती में होगा ड्रोन का उपयोग

खड़ी फसल में नैनो यूरिया, कीटनाशक, पोषक तत्व व खरपतवार नाशकों का करेगा छिडक़ाव

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प्रदेश में पहली बार खेती में होगा ड्रोन का उपयोग

प्रदेश में पहली बार खेती में होगा ड्रोन का उपयोग

भरतपुर. उन्नत कृषि को बढ़ावा देने के परिप्रेक्ष्य में पौध रसायनों के समुचित उपयोग, निगरानी, कृषि संबंधी अन्य कार्यों व टिड्डी नियंत्रण के लिए अब ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। प्रदेश में पहली बाद खड़ी फसल में नेनो यूरिया, कीटनाशक, पोषक तत्व व खरपतवार नाशकों का छिडक़ाव करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। इससे पूर्व ट्ड्डिी को भगाने के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया था, लेकिन अब कृषि में इसके उपयोग की कवायद शुरू की गई है।
कृषि विभाग के अनुसार ड्रोन तकनीक में उपयोग के लिए इस वित्तीय वर्ष में कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ), जीएसएस/केवीएसएस तथ कृषकों की ओर से स्थापित कस्टम हायरिंग केन्द्रों को ४०० ड्रोन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। इनको ड्रोन क्रय करने पर सरकार की ओर से लागत का ४० प्रतिशत (अधिकतम ४ लाख रुपए) तक का अनुदान देने का प्रावधान है।
फिलहाल खेतों में फसल में खाद व कीटनाशकों का छिडक़ाव किसान करते हैं। छोटी फसल में तो कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन बड़ी फसल में छिडक़ाव करना मुश्किल होता है। ऐसे में ड्रोन से बड़ी फसल में भी आसानी से छिडक़ाव किया जा सकेगा।
३३ जिलों में एक साथ किया जाएगा ड्रोन प्रदर्शन
कृषि संभाग भरतपुर के संयुक्त निदेशक देशराज सिंह के अनुसार जारी महीने में सभी ३३ जिलों में एक साथ २० हैक्टेयर क्षेत्रफल के खेतों में ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक जिले में २० हैक्टेयर क्षेत्र का चयन इस प्रकार किया जाएगा, जिसकी बुवाई को ३५-४० दिन हो गए हों। किसानों के खेत के चयन के समय किसान से आवश्यक रूप से सहमति भी प्राप्त की जाएगी।