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श्रीकृष्ण के प्राकृतिक चरण चिह्नों के दर्शन करने पहुंचते हैं सैंकड़ों श्रद्धालु

जिले के कामवन (कामां) में ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग में कामां के पश्चिमी भाग में स्थित गांव भूडाका के समीप पहाडी पर भगवान श्रीकृष्ण के स्वत: उत्कीर्णित प्राकृतिक चरण चिह्नों के दुर्लभ दर्शन उपलब्ध हैं।

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bharatpur

Shri Krishna

भरतपुर. जिले के कामवन (कामां) में ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग में कामां के पश्चिमी भाग में स्थित गांव भूडाका के समीप पहाडी पर भगवान श्रीकृष्ण के स्वत: उत्कीर्णित प्राकृतिक चरण चिह्नों के दुर्लभ दर्शन उपलब्ध हैं। पहाड़ी पर लगभग 200 सीढिय़ां चढऩे के बाद एक शिला खण्ड पर भगवान श्रीकृष्ण के डेढ़ चरण अंकित हैं जो अन्यत्र दुर्लभ है।


साहित्यकार डॉ.भगवान मकरन्द ने बताया कि चरण पहाड़ी के पास लुकलुक कुण्ड नामक स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण गोपी-ग्वालों के साथ लुकाछिपी का खेल खेल रहे थे। इसी बीच वे अंतध्र्यान हो गए और उन्होंने चरण पहाड़ी पर जाकर शिलाखण्ड पर खड़े होकर मुरली की इतनी मधुर तान छेड़ी कि जड़ शिलाखण्ड भी द्रवीभूत (पिघल) हो गए। जिससे प्रभु के चरण चिह्न अंकित हो गए। आज भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन चरण चिह्नों के दर्शन करने आते हैं। वहां सैकड़ो की संख्या में मोर व अन्य पशु पक्षियों की आवाज से भी दर्शक आन्नदित हो जाते हंै। चरण पहाड़ी पर प्रशासन की ओर से अभी तक बाहर से आने वाले श्रृद्धालुओं के लिए कोई सुविधा मुहैया उपलब्ध नहीं कराने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां पीने का पानी तक के लिए श्रद्धालु भटकते रहते हैं।