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वजन मशीन नहीं तो कैसे हो बच्चों का…

भरतपुर. आंगनबाड़ी केंद्रों पर व्यवस्थाएं दुरुस्त हों तो नौनिहालों को खेल-खेल में शिक्षा अर्जित करने के साथ स्वास्थ्य की भी देखभाल हो।

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वजन मशीन नहीं तो कैसे हो बच्चों का...

वजन मशीन नहीं तो कैसे हो बच्चों का...

भरतपुर. आंगनबाड़ी केंद्रों पर व्यवस्थाएं दुरुस्त हों तो नौनिहालों को खेल-खेल में शिक्षा अर्जित करने के साथ स्वास्थ्य की भी देखभाल हो। लेकिन, जिले के लगभग नौ सौ केंद्रों पर बच्चों की वजन तुलाई की मशीन टूटी, खराब व निष्क्रिय हैं। इस स्थिति में आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों के स्वस्थ रहने की जानकारी मिलना मुश्किल है। ऐसे में लगता है कि महिला एवं बाल विकास विभाग को भामाशाहों की दरकार है।

जिले में 2083 केंद्र हैं। इनमें से लगभग 2078 केंद्र संचालित हैं, जहां बच्चों को पोषाहार, टीकाकरण, खेल-खेल में शिक्षा के साथ वजन लेना सुनिश्चित है। लेकिन नौ सौ केंद्र ऐसे हैं जिनमें बच्चों की वजन निगरानी (तोल) मशीन कबाड़ा बन चुकी हैं। बावजूद इसके विभाग की ओर से वजन मशीन उपलब्ध नहीं कराई जा रही, जिससे करीब 15 हजार बच्चे इस सुविधा से वंचित हैं।


ऐसी स्थिमि में केंद्रों पर आने वाले बच्चों के बीमार होने पर बिना वजन के बीमारी का अनुमान लगाना मुश्किल है। हालांकि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा विभाग, टीकाकरण व चिकित्सा सुविधा के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम के माध्यम से सुविधा कर रखी है। लेकिन सरकारी भवनों, गांवों और किराए पर चलने वाले करीब 450 केंद्रों पर ये खराब हो चुकी है। इन पर विभाग को अपने स्तर पर मशीन मंगाकर रखवानी चाहिए।


इसके अलावा केंद्रों से जुड़ी गर्भवती व धात्री महिलाएं भी वजन तोल के लिए आते हैं। इस स्थिति में उन्हें परेशानी से जूझना पड़ता है। हालांकि सीडीपीओ स्तर से इस बारे में विभाग को अवगत कराया जाता है। विभाग इस संबंध में निदेशालय को सूचित करता है, लेकिन लंबे समय से मशीन उपलब्ध कराने की व्यवस्था नहीं की गई।

महिला एवं बाल विकास विभाग भरतपुर मे उपनिदेशक अमित गुप्ता का कहना है कि जिले में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन मशीन खराब है। इसकी खरीद निदेशालय स्तर से होती है। वहां से मशीन खरीद के लिए टैण्डर हो गए हैं। शीघ्र ही वेट मशीन केंद्रों पर उपलब्ध होगी।