मंसादेवी मंदिर व खिरनीघाट की तरफ से ज्यादा मामले सुजानगंगा नहर वैसे तो किले के बाहरी हिस्से में चारों तरफ फैली हुई है और अंदर लोग निवास करते हैं, लेकिन काफी समय से इस नहर में कूदकर खुदकुशी करने के जो मामले सामने आए हैं वह कोतवाली थाना अंतर्गत मंसादेवी मंदिर और खिरनी घाट के पास का क्षेत्र है। बीते दिनों में खुदकुशी करने वाले इसी इलाके से या कूदे या फिर उनका शव बहकर यहां तक पहुंच गया। इसके बाद मथुरा गेट इलाके में ठण्डी सड़क और चौबुर्जा के पास से भी नहर में कूदने की गई घटनाएं हो चुकी हैं।
बीते तीन माह में 30 से अधिक मामले आए सामने सुजानगंगा नहर में बीते तीन माह में नहर में कूदकर खुदकुशी करने के करीब 30 से 35 मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन पिछले डेढ़ माह में आत्महत्या करने वालों की संख्या ज्यादा है जो करीब 20 के करीब है। जबकि अमूमन एक माह में औसतन तीन से चार लोगों के खुदकुशी करने के मामले सामने आते रहे हैं। इसके बाद भी प्रशासन और पुलिस शहर के बीचोंबीच होने वाली खुदकुशी के मामलों पर रोक नहीं लगा पाए हैं।
चारदीवारी या फैसिंग लगाकर रोकी जा सकती हैं घटनाएं सुजानगंगा नहर में कूदकर आत्महत्या करने की घटनाओं को रोकने लिए विशेषज्ञ चिह्नित स्थानों पर नहर की चारदीवारी को करीब 6 से 8 फीट ऊंचाई तक बढ़ाना या फिर इसके चारों ओर लोहे की फैसिंग करने से भी खुदकुशी के मामलों को रोका जा सकता है। हाल में ज्यादातर मामले मंसादेवी मंदिर और खिरनी घाट के आसपास के रहे हैं। इसकी वजह मंसा देवी मंदिर के पास चारदीवारी नीची होने और अंदर जाने के गेट होने से कोई व्यक्ति आसानी चला जाता है और छलांग लगा देता है। ये गेट बंद होने चाहिए। वहीं, खिरनी घाट के पास भी मंदिर है, वहां भी ऐसी स्थिति बनी हुई है। यहां पर भी मंदिर को छोड़कर शेष जमीन पर चारदीवारी खड़ा करके आसानी से जाने वालों को रोका जा सकता है। साथ ही इन जगहों पर स्थाई पुलिस प्वाइंट हों, जो इन तरह के लोगों पर निगरानी रखें।
पुरातत्व विभाग न कुछ करता है न करने देता है…
ऐतिहासिक इमारतों की देखभाल करने वाली एजेंसी भारतीय पुरातत्व विभाग इन इमारतों को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। जब भी किसी तरह के निर्माण कार्य कराने की बात आती है तो पुरातत्व विभाग छेड़छाड़ नहीं करने का हवाला देते हैं कार्य रुकवा देता है। इससे पूर्व में आरडी गल्र्स कॉलेज और आयकर विभाग के कार्यालय निर्माण के समय विवाद हो चुका है। कई कार्य रुकवा दिए गए थे। जबकि पुरातत्व विभाग सीधे तौर पर इन इमारतों से जुड़ी है लेकिन वह अपनी तरफ से कोई खास पहल नहीं करते हैं।
धरी रह गई बोटिंग चलवाने की योजना तत्कालीन जिला कलक्टर संदेश नायक के समय सुजानगंगा नहर में बोटिंग चलवाने की योजना पर कार्य हुआ था। एक एजेंसी को बुलाकर नहर को दिखवाया और बोटिंग भी हुई। इस प्रस्ताव को राज्य सरकार को भी भेजा गया लेकिन बाद में आचार संहिता लगने के बाद यह प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में चला गया। उसके बाद से किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया।
पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई है नहर यह नजर पुलिस लिए सिरदर्द बनी हुई है। ज्यादातर हिस्सा मथुरा गेट और कोतवाली में आता है। दोनों थानों की पुलिस कई बार सीमा को लेकर आपस में भिड़ चुके हैं। कोई व्यक्ति कूदता मथुरा गेट सीमा इलाके से हैं और शव उसका कोतवाली इलाके में बहकर पहुंच जाता है। इसको लेकर कई बार आपस में तू-तू-मैं-मैं तक हो चुकी है। वहीं, शव को निकलवाने के लिए पुलिस के कई घंटे खराब होते हैं जिससे दूसरे कार्य प्रभावित होते हैं।
केस नंबर एक 25 मार्च की देर रात खाटू श्यामजी के मंदिर के पास एक लड़का सन्नी सेल्फी लेते समय अचानक सुजान गंगा नहर में गिर गया था। काफी देर तक सर्च ऑपरेशन चला लेकिन सन्नी का कुछ पता नहीं चल सका। दूसरे दिन उसका शव बरामद हुआ। जबकि इसी दिन एक और शव बरामद हुआ था।
केस नंबर दो 22 मार्च को शहर की सुजान गंगा नहर में खिरनी घाट पर एक शव मिला। मृतक 45 वर्षीय जितेंद्र यादव था। जितेंद्र काफी समय से बीमार था। वह 21 मार्च की शाम से लापता था। जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उन्होंने अटलबन्द थाने में दर्ज करवाई हुई थी।
केस नंबर तीन 28 मार्च को दीपक सिंह पुत्र साहब सिंह 30 साल निवासी जघीना गेट गोपालगढ़ मोहल्ला सुबह केतन गेट स्थित सुजानगंगा नहर में गिर गया। इसे बाहर निकाल कर जब आरबीएम अस्पताल पहुंचाया तो उसे मृत घोषित कर दिया गया।
केस नंबर चार 18 अगस्त 2020 को करीब 25 साल की एक युवती मथुरा गेट थाना इलाके में सुजानगंगा नहर में कूद गई। स्थानीय लोगों ने रस्सी डालकर युवती को निकालने का प्रयास किया लेकिन जब तक उसने दम तोड़ दिया। सूचना मिलने पर मौके पर चौबुर्जा चौकी की पुलिस पहुंची और शव को बाहर निकलवाया।