
भरतपुर . सीमा परिहार। फोटो पत्रिका
भरतपुर। मेरा अपराध की दुनिया से गहरा नाता रहा है, लेकिन मैं कभी अपराधी नहीं बनना चाहती थी। परिस्थितियों ने मेरे हाथ में हथियार थमा दिए। जंगल का जीवन बेहद कठिन था, लेकिन यह मेरी नीयति बन गई थी। यह कहना है पूर्व दस्यु सुंदरी और बिग बॉस सीजन-4 की प्रतिभागी रहीं सीमा परिहार का। पत्रिका से बातचीत में सीमा ने अपनी जिंदगी के वे तमाम किस्से सामने रखे, जिसमें प्रधान की साजिश, डकैतों का जीवन, जेल के साल और आखिरकार सिनेमा व रियलिटी शो तक का सफर की बातें उन्होंने साझा कीं।
सीमा परिहार से बातचीत के अंश
जवाब : बिग बॉस में कोई बनावट नहीं होती। मैं 12 हफ्ते रुकी थी। वहां सब कुछ 24 घंटे रिकॉर्ड होता है। प्रतिभागी के कॉन्ट्रैक्ट में लिखा होता है कि गाली नहीं दे सकते, लेकिन इंटरनल हाइलाइट्स के लिए फिल्मी लाइनें बन जाती हैं। रियलिटी शो में असलियत और नाटकीयता के बीच फर्क करना मुश्किल होता है।
जवाब : मेरी पृष्ठभूमि बहुत गरीब थी। गाय-बकरी और छोटी दुकान से घर चलता था। प्रधान चाहता था कि हम चारों बहनों की शादी गांव में ही हो, जबकि पिता इसके खिलाफ थे। वह प्रधान के बताए गोत्र में शादी नहीं करना चाहते थे। इसके बाद साजिशन मेरा अपहरण हुआ। इसके बाद मेरे जीवन के 18 साल जंगल में गुजरे। यह कहानी मैंने फिल्म में भी दिखाई है। वर्ष 2000 में मैंने आत्मसमर्पण किया था।
जवाब : वर्ष 2006 में गाजियाबाद में मेरे भाई का झूठा एनकाउंटर हुआ। उस वक्त पता नहीं चलता था कि कौन दोस्त है, कौन दुश्मन। ये घटनाएं मेरे जीवन को बहुत बदल कर चली गईं।
जवाब : मेरी फिल्म का नाम बॉन्डेड था। मैंने अपना रोल खुद ही निभाया। डकैत और पुलिस की फिल्म में राम-राम तो होगी नहीं, गालियों की वजह से सेंसर बोर्ड ने फिल्म रोक दी। इसके बाद न्यायालय से इसे अनुमति मिली। फिल्म के प्रदर्शन के बाद इसे सराहा गया।
जवाब : इटावा की जेल में करीब साढ़े तीन साल रही। उत्तरप्रदेश के चार जिलों में मेरे खिलाफ मामले थे। जेल जीवन ने बहुत कुछ सिखाया है, वहां भी आप अपने अतीत से भाग नहीं सकते हैं।
जवाब : दस्यु गैंग में रहते हुए मेरी पहली शादी निर्भय गुर्जर से हुई, जो डेढ़ साल चल सकी। बाद में लालाराम से रिश्ता जुड़ा। उस समय लालाराम ही गैंग चलाता था और उसी ने मेरा अपहरण किया था। हालांकि लालाराम की मौत के बाद मैंने समर्पण कर दिया।
जवाब : मैं किसी पार्टी की सदस्य नहीं हूं, लेकिन किसान यूनियन और क्षत्रिय महासभा से जुड़ी हूं। मुझे मौका मिला तो राजनीति में जाना चाहूंगी, लेकिन पद मिलते ही बंधन आ जाते हैं। इसलिए फिलहाल स्वतंत्र रहकर सहयोग कर सकती हूं। मैं युवतियों से कहना चाहती हूं कि वह फोन पर चैटबाजी और लव के चक्कर में नहीं पड़कर पढ़-लिखकर अपने माता-पिता का नाम रोशन करें।
जवाब : यह कि कोई बच्चा मां के पेट से अपराधी नहीं बनता। समाज ही किसी को कुछ बना देता है। हर आदमी सच्चाई नहीं जान पाता। मैं चाहती हूं कि मेरी कहानी पढ़ी-समझी जाए, ताकि औरतें और परिवार समझें कि फैसले और मौके कितने अहम होते हैं।
Updated on:
12 Nov 2025 03:51 pm
Published on:
12 Nov 2025 03:43 pm
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