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‘देवस्थान’ पर ही खिलेंगे और यहीं चढ़ेंगे फूल

अब देवस्थान विभाग के मंदिरों में चढ़ेंगे खुद की जमीन के फूल, फल, नंदन कानन योजना के तहत किया जाएगा पौधरोपण, हरियाली से लहराएंगे मंदिर परिसर

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‘देवस्थान’ पर ही खिलेंगे और यहीं चढ़ेंगे फूल

‘देवस्थान’ पर ही खिलेंगे और यहीं चढ़ेंगे फूल

भरतपुर. देवस्थान विभाग के मंदिरों में अब खुद की जमीन में उगे फूल व फल भगवान को चढ़ाए जाएंगे। इसके लिए नंदन कानन योजना के तहत मंदिरों की खुली जमीन में पौध रोपण किया जाएगा। जहां खुली जमीन नहीं है वहां पर गमलों में पौधरोपे जाएंगे।
अभी तक अधिकतर सभी मंदिरों भगवान को फूल, मालाएं एवं फल बाजार से मंगाने पड़ते हैंं, क्योंकि मंदिर परिसर में इतने फल-फूल नहीं हैं। ऐसे में अब नंदन कानन योजना के तहत देवस्थान विभाग के अधीन जिले के सभी मंदिरों में पौधरोपण किया जाएगा। इससे मंदिरों में चढऩे वाले फूल परिसर में ही उपलब्ध हो सकेंगे और पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त केके खण्डेलवाल के अनुसार देवस्थान विभाग के अधीन जिले में कुल 35 मंदिर हैं। इन सभी मंदिरो में योजना के तहत पौधरोपण किया जाएगा। जिससे पर्यावरण को भी बढ़ावा मिलेगा। अगले सप्ताह से यह योजना शुरू हो जाएगी। जहां मंदिर में खाली जगह होगी तो उसमें पौध रोपण किया जाएगा, लेकिन मंदिर में खुली जगह नहीं हुई तो गमलों में पौधरोपण किया जाएगा। जिससे मंदिर परिसर में हरियाली बनी रहेगी और भगवान को चढ़ाने के लिए फल-फूल भी मंदिर परिसर में मिल सकेंगे। इसके लिए पौधे वन विभाग की नर्सरी से लिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इस कार्य में सामाजिक संस्था या आम जनता भी शामिल होकर पौधरोपण कर सकते हैं। इस योजना के लिए रंजीत कुमार को नोडल अधिकारी बनाया गया है। जो आगामी सप्ताह से पौधरोपण शुरू करेंगे।
ये पौधे रोपे जाएंगे
प्राचीन समय में मंदिर परिसरों में अनेक प्रकार के फल-फूल और छायादार एवं जड़ी-बुटियों के पेड़ हुआ करते थे। लेकिन अब इतने पौधे नहीं होते हैं। ऐसे में प्राचीन परम्परा को बनाए रखने के लिए अब मंदिर परिसर में पौधे रोपने के लिए नंदन कानन योजना लाई जा रही है, जिसके तहत मंदिर परिसरों में पौधरोपण किया जाएगा। फिलहाल ज्यादातर फलदार एवं छायादार पौधे रोपे जाएंगे। जिनमें गेंदा, तुलसी, मोगरा, नीम, पीपल, आम, केला, खेजड़ी, चम्पा, गिलोल, नक्षत्र वाटिका, बिल्वपत्र, आंवला आदि के पौधे रोपे जाएंगे।