
नियमों की शिथिलता के बावजूद दम तोड़ रही वन स्टेशन वन प्रोडक्ट योजना
भरतपुर. स्थानीय उत्पादों की बिक्री को बढ़ाने और लघु उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ योजना को और लाभदायक बनाने के लिए रेल प्रशासन ने भले ही इसकी स्थापना व आवंटन के नियमों में शिथिलता दी है, लेकिन बिक्री के अभाव में सरकार की यह योजना दम तोड़ रही है। सिर्फ दो मिनट ट्रेन रुकती है, ऐसे में यात्री पानी या खाने-पीने की वस्तुएं खरीदने में ही विजी हो जाता है, स्टॉल की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता है। ऐसे में बिक्री के अभाव में भरतपुर का स्टॉल करीब दो महीने से बंद पड़ा है।
मण्डल के भरतपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक पर ‘वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट’ योजना की स्टॉल है। जहां पर सरसों का तेल एवं अचार बेचने के लिए रखा गया था, लेकिन बिक्री कम होने के कारण 15 मार्च से यह स्टॉल बंद है। यह स्टॉल स्टेशन के प्लेटफार्म एक पर है। जानकारों का मानना है कि इन स्टॉलों पर बिक्री कम होती है। जिसका मुख्य कारण एक तो यह है कि स्टॉल सिर्फ एक ही प्लेटफार्म पर होती है। प्लेटफार्म पर रुकने वाली ट्रेनों के यात्रियों को इसका फायदा नहीं मिल पता है, क्योंकि पांच नम्बर का यात्री एक नम्बर फ्लेटफार्म पर नहीं आ सकता है। ऐसे में सिर्फ एक फ्लेटफार्म पर रुकने वाली ट्रेन के यात्रियों को भी इसका फायदा मिल पाता है। दूसरी ओर, दो मिनट ट्रेन रुकती है ऐसे में सिर्फ एक-दो यात्री ही मुश्किल से खरीदी कर सकते हैं। इतने में ट्रेन रवाना हो जाती है। हालांकि भरतपुर स्टेशन बड़े स्टेशनों में शामिल है। रुपए कम करने की शिथिलता का लाभ नहीं मिल सकता है।
यह है योजना
अलग-अलग जगहों के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने में रेल की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इसी को देखते हुए ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ योजना शुरू की गई है। इसके तहत देश भर के रेलवे स्टेशनों पर उस जगह के खास उत्पादों की बिक्री के लिए स्टॉल लगेंगे। इससे जिस रेलवे स्टेशन पर यात्री उतरेंगे, वे वहां के खास उत्पाद के बारे में आसानी से जान सकेंगे। इससे यहां के उत्पाद का प्रचार और रोजगार दोनों क्षेत्र में अवसर सामने आएंगे।
यह दी शिथिलता
एक स्टेशन एक उत्पाद योजना को और लाभदायक बनाने के लिए कोटा रेल प्रशासन की ओर से इसकी स्थापना व आवंटन के नियमों में शिथिलता प्रदान की है। पूर्व में सभी स्टेशनों पर स्टॉल आवंटन के लिए 15 दिन के 1000 रुपए लाइसेंस फीस ली जा रही थी। अब बड़े स्टेशनों पर लाइसेंस फीस वही रखी गई है लेकिन छोटे स्टेशनों पर इसे घटाकर 500 रुपए प्रति 15 दिन कर दिया गया है। वर्तमान में यह स्टॉल 15 दिनों के लिए आवंटित की जा रही थी जिसे अब 3 माह के लिए आवंटित किया जा सकेगा। सभी स्टेशनों के लिए उत्पाद निर्धारित किए गए हैं। यदि इन उत्पादों से संबंधित स्टॉल संचालक उपलब्ध नहीं होते हैं तो इन उत्पादों को बदलकर अन्य उत्पाद की स्टॉल का भी आवंटन किया जा सकेगा। स्टॉल रेलवे की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक जनसंपर्क अधिकारी रोहित मालवीय के अनुसार नियमों मे यह शिथिलता अधिक से अधिक लाभग्राही की सुविधा व लाभ के मद्देनजर की गई है। ताकि वे इस योजना के अंतर्गत स्थानीय उत्पादों की बिक्री कर सकें।
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Published on:
13 May 2023 11:05 am
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