
डीग। प्लीज कलक्टर अंकल, हमारी भी छुट्टी करवा दो। मासूमों के सवाल में छिपी इस पीड़ा को जिला कलक्टर को समझना होगा। सरकारी स्कूलों में शीतलहर चलने के कारण छुट्टी रहती है, लेकिन मात्र तीन साल से छह वर्ष के बच्चों पर यह नियम लागू नहीं होता है।
प्रदेश के सभी निजी व सरकारी स्कूलों में शीतकालीन अवकाश चल रहा है। तेज सर्दी के चलते पांच जनवरी तक स्कूल बंद हैं, लेकिन इसके विपरित आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को बुलाया जा रहा है। ठिठुरनभरी सर्दी में धूजते हुए बच्चे अध्ययन और पोषाहार के लिए यहां पहुंच रहे हैं। यही नहीं केंद्रों पर कुर्सी-टेबल की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते बच्चों को दरी पट्टी पर बैठाकर ही पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को सर्दी नहीं लगती? एक ही प्रदेश के बच्चों के लिए अलग-अलग नियम क्यों?
दरअसल, आंगनबाड़ी केंद्रों पर शीतकालीन अवकाश का कोई प्रावधान नहीं है। इसके अलावा पोषाहार भी केंद्र पर ही दिया जाता है। यही वजह है कि बच्चों को आना पड़ रहा है। लेकिन सरकार को ठंड से धूजते बच्चे नजर नहीं आ रहे हैं। राजस्थान में 65 बाल विकास परियोजना में करीब 62 हजार आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। डीग में 856 केंद्रों पर 24 हजार से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं, जिसमें बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। ना फर्नीचर है और ना सर्दी से बचाव के इंतजाम। सर्दी में भी जमीन पर बैठकर बच्चों को पढ़ना पड़ रहा है। सर्दी में भी बच्चों को पढ़ाई व पोषाहार के लिए केंद्रों पर आना पड़ रहा है। पिछले साल तेज सर्दी होने पर अवकाश घोषित कर दिया था, लेकिन इस बार कोई आदेश नहीं आए हैं।
इन दिनों क्षेत्र में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी अपना प्रकोप दिखा रही है। ऐसी सर्दी में बच्चे तो दूर अधिकारी-कर्मचारी भी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसी सर्दी में बच्चों को शीतकालीन अवकाश नहीं देने से बच्चों को कड़ाके की ठंड में परेशानी उठानी पड़ रही है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में अवकाश नहीं होने व सर्दी में जाने से कई बच्चों को मौसमी बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। कई आंगनबाड़ी केंद्रों पर तो बच्चे ठंड से बचाव के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के शीतकालीन अवकाश करने के उच्चाधिकारियों से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। जो भी निर्देश मिलेंगे उनकी पालना की जाएगी।
-अर्चना पिप्पल, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग
Published on:
31 Dec 2024 04:15 pm
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