28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कौन है गुलाब सिंह जिसके जन्म पर आजाद मुल्‍क में दी गई 21 तोपों की सलामी

15 अगस्त 1947 को जन्मे सेवानिवृत्त फौजी गुलाब सिंह चौधरी भारत-पाक युद्ध (India-Pakistan War 1971) के दौरान जोधपुर में बने ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी

2 min read
Google source verification
Rtd. Sarjent Gulab Singh Chaudhry

The story of Gulab Singh on whose birth a 21-gun salute was given in the independent country

रुद्रेश शर्मा @ भरतपुर. ‘मां कहती थी कि बेटा जब तुम्हारा जन्म हुआ तो भरतपुर में 21 तोपों की सलामी दी गई थी। उसी दिन देश आजाद हुआ था और उसका जश्न यहां भी मनाया गया।’ यह कहना है 15 अगस्त 1947 के ऐतिहासिक दिन जन्मे गुलाब सिंह चौधरी का। आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो गुलाब सिंह ‘गुलाब’ सरीखे खिलखिला रहे हैं, उन्हें इस बात का गर्व है कि वे जब इस धरती पर आए तो देश ने आजादी की भोर देखी।

भरतपुर निवासी 75 वर्षीय गुलाब सिंह 4 नवंबर 1966 को भारतीय वायुसेना में बतौर एयरमैन भर्ती हुए। यहीं से शुरू हुआ उनका देश सेवा का सिलसिला। वायुसेना की तकनीकी विंग में कार्य करते हुए उन्होंने बेंगलुरु, सिकंदराबाद, जोधपुर, भटिंडा और श्रीनगर में सेवाएं दी। 31 दिसंबर 1983 को सार्जेंट पद से सेवानिवृत्त होने के बाद सत्रह साल पवनहंस हेलिकॉप्टर (Pawan Hans) के लिए कार्य किया।

पाक एयरक्राफ्ट के हमले में शहीद हो गया साथी
1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध (India-Pakistan War 1971) की यादें साझा करते हुए गुलाब सिंह ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि युद्ध के दौरान वे जोधपुर में तैनात थे। उस वक्त न खाने का पता होता था और न सोने का। वायु सेना की तकनीकी विंग में कार्य करते हुए वे जंग में शामिल होने वाले एचएफ-24 व मिग 21 जहाजों को तैयार करते। युद्ध के दौरान 11 दिसंबर 1971 को जल्द सुबह वे एयर स्टेशन पर नाश्ता कर रहे थे। तभी पाकिस्तान के चार सेवर जेट विमानों ने हमला बोल दिया। इनसे हुई गोलीबार में उनके सामने उनका एक साथी शहीद हो गया। युद्ध के दौरान पाकिस्तान की सीमा में भारतीय विमान क्रेश होने से दो पायलट वहां युद्ध बंदी हो गए। इसके अलावा भी गुलाब सिंह कई युद्धाभ्यासों में शामिल हुए। गुलाब सिंह 1970 से 1980 तक जोधपुर में तैनात रहे।


जमीं पर इम्तिहान, आसमान में परिणाम
गुलाब सिंह बताते हैं कि वायु सेना में उनका काम एयर स्टेशन पर भले ही पर्दे के पीछे का रहता था। लेकिन उनके कामकाज का परिणाम ऊंचे आसमान में देखने को मिलता था। अपने तैयार किए एयरक्राफ्ट में कई बार वे पॉयलट के साथ परीक्षण के लिए उड़ान पर जाते। कश्मीर में हजारों फीट की ऊंचाई पर जब विमान निर्बाध रूप से उड़ान भर लेते तो उनकी जान में जान आती कि उनका किया कार्य सफल रहा।

हर परिवार में एक फौजी जरूरी
वायुसेना में कैसे शामिल हुए? इस सवाल के जवाब में गुलाब सिंह कहते हैं कि मुझे बचपन से ही एडवेंचर पसंद रहे हैं। खेलों में भी रुचि थी और हमारी सोसायटी में यह परम्परा रही कि हर घर में एक फौजी होना जरूरी है। इसी के चलते वायु सेना की भर्ती में शामिल हुआ और एयरमैन के पद पर चयन हो गया।

समंदर की सैर भी खूब रास आई
31 दिसंबर 1983 को वायु सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद गुलाब सिंह ने करीब पांच साल भरतपुर में रहकर ही खेती बाड़ी की। इसके बाद 17 अप्रेल 1989 को पवनहंस हेलिकॉप्टर सेवा में शामिल हो गए। इस दौरान मुुबई में रहते हुए उनका कार्य ओएनजीसी के कार्मिकों को बीच समंदर में तट से सैकड़ों किमी दूर तेल उत्पादन स्थल तक लाने ले जाने का होता था। कई बार रात समंदर के बीच गुजारनी होती थी। यह भी एक रोमांचक अनुभव रहा।