
स्कूल बंक करके नदी में नहाने गए तीन दोस्त, दो की गहरे पानी में डूबने से मौत, तीसरा लगाता रहा मदद की गुहार
भिलाई. शिवनाथ नदी के डोंगा घाट में 27 घंटे बाद आदर्श का शव मिला। एनडीआरएफ की टीम ने गहरे पानी से जैसे ही उसके शव को निकाला भूखे प्यासे बैठे परिजन रोने लगे। वहां चीख पुकार मच गया। पुलिस ने पंचनामा कर शव को पीएम के बाद परिजनों को सौप दिया। 5 अक्टूबर को दोपहर 12.30 बजे शिवनाथ नदी में नहाने गए तीन स्कूली दोस्तों में दो की डूबने से मौत हो गई थी। सूचना मिलने पर पुलिस ने छात्र आयुष का शव खोज निकाला था। अंधेरा होने के चलते आदर्श का शव नहीं मिला था। बुधवार को तड़के एनडीआरएफ और गोताखोरों की टीम शिवनाथ नदी में उतरी और करीब 9 घंटे की खोजबीन के बाद दोपहर करीब 2 बजे आदर्श के शव को गहरे पानी से निकाला। आदर्श चंद्राकर (17) पुत्र दिनेश चंद्राकर, गार्डन चौक निवासी तौसीफ अंसारी (17) पुत्र मुर्शीद आलम और रुआबांधा निवासी आयुष शांडिल्य (17) पुत्र हेराम शांडिल्य तीनों अलग-अलग स्कूलों में 11वीं क्लास के छात्र हैं और दोस्त हैं। तीनों दोस्त मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे स्कूल से बंक मारकर नहाने के लिए शिवनाथ नदी में गए थे। इसी दौरान दो दोस्तों की गहरे पानी में डूबने से मौत हो गई। वहीं तीसरा दोस्त लोगों से मदद की गुहार लगाता रहा।
परिजन, रिश्तेदार व मोहल्ल के लोग सुबह से पहुंचे थे
शिवनाथ नदी के डोगा घाट में बुधवार सुबह से ही मृतक आदर्श के पिता, चाचा और दादा सहित मोहल्ले वाले और रिश्तेदार वहां पहुंचे थे। सभी लोग यही कहते दिखे जो दिन दिनेश चंद्राकर ने देखा वो किसी को देखने को न मिले। बीएसपी में उनके साथ ड्यूटी कर रहे उनके साथी भी दिखे। उनका कहना है था कि यह जगह ट्रेन पर जाते समय देखा था। पहली बार यहां पहुंचा।
काल खींचकर ले गया था आदर्श को
आदर्श के चाचा ने बताया कि उसकी दोस्ती आयुष शांडिल्य से 10 दिन पहले ही हुई थी। अगर यह दोस्ती न होती तो आज आदर्श और आयुष दोनों जिंदा होते। उन्होंने कहा कि आयुष अपनी गाड़ी से आदर्श को वहां तक ले गया था। चंचल मन का होने के चलते गहरे पानी में चला गया।
बुझ गया घर का चिराग
आदर्श के चाचा ने रो-रोकर बताया कि आदर्श उनके भाई का एकलौता बेटा था। उनकी बड़ी बेटी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है। आदर्श को गहरा मूल नक्षत्र था। उसके जाने से उनके घर का चिराग बुझ गया है। मां और बहन रो-रोकर टूट गई है।
अवैध रपटा हुआ जानलेवा
शिवनाथ नदी के किनारे ईंट भ_ों का कार्य बड़े पैमाने पर होता है। हर साल गर्मी में नदी का जल स्तर कम होने पर भ_ा संचालक पाइप लाइन डालकर उपर से पत्थर और मिट्टी पाटकर अवैध रपटा बना देते है। जब बारिश में जल स्तर बढ़ता है तो यह रपटा डूब जाता है। इसी रपटे के ऊपर चल कर उथला पानी समझते हुए दोनों छात्र बीच नदी तक पहुंच गए थे। अचानक काई में पैर फिसलने से पहले आदर्श गहरे पानी में डूबने लगा। उसे बचाने उतरा आयुष भी डूब गया।
Published on:
07 Oct 2021 12:01 pm
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