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एक आयकर दाता ने बताया कैसे समय पर रिटर्न नहीं भरने से सामने आई बड़ी मुश्किल, अब काट रहा है विभाग के चक्कर-पे-चक्कर

अगर आप भी इनमें से एक हैं तो ३१ जुलाई तक रिटर्न अवश्य भर दें अन्यथा जुर्माना देना पड़ेगा।

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भिलाई . जिले के सीए बताते हैं कि अब तक 70 फीसदी करदाताओं ने अपना आयकर रिटर्न नहीं भरा है। अगर आप भी इनमें से एक हैं तो ३१ जुलाई तक रिटर्न अवश्य भर दें अन्यथा जुर्माना देना पड़ेगा। एक अप्रैल से आयकर नियम में बदलाव हुए हैं। इसलिए तय तिथि तक रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बाद एक अगस्त से 31 दिसंबर तक पाच हजार रुपए और एक जनवरी से 31 मार्च 2019 तक दस हजार रुपए जुर्माना देने के बाद रिटर्न भरा जा सकता है। यह प्रावधान उन सभी पर लागू होगा, जिनके रिटर्न बिना ऑडिट के दायरे में आते हैं। 31 मार्च 19 के बाद वित्तीय वर्ष 2017-18 का रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सकेगा। रिटर्न दाखिल किए बिना करदाता को रिफंड की पात्रता भी नहीं होगी।पिछले साल तक बिना जुर्माना के तीन साल तक का रिटर्न एक साथ दाखिल करने की सुविधा थी, लेकिन अब इसे हटा दिया गया है।

अलग-अलग है जुर्माने का स्लैब
भिलाई सीए शाखा के मुताबिक तय तिथि तक रिटर्न जमा नहीं करने पर अलग-अलग स्लैब के तहत जुर्माना लगेगा। 5 लाख से अधिक आय पर १ अगस्त से 31 दिसंबर तक में रिटर्न दाखिल करने पर 5 हजार रुपए जुर्माना लगेगा। जबकि 5 लाख से कम आय वाले करदाता को जुर्माने के तौर पर 1 हजार रुपए चुकाने होंगे। इसी तरह 1 जनवरी 19 की स्थिति में 5 लाख से अधिक आय वाले करदाता को 10 हजार और ५ लाख से कम आय वाले को 1 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा।

नियम में बड़ा बदलाव, ध्यान ने भरे रिटर्न
सैलरी से आय वाले करदाता को फार्म-१६ की जानकारियां विस्तार से देनी होगी। यदि टीडीसी अधिक कटने पर रिफंड के लिए संबंधित दस्तावेज और साक्ष्य भी भविष्य में अपलोड करना पड़ सकता है। पाच लाख रुपये से कम आयवाले को मैनुअल रिटर्न भरने की छूट है। वहीं दूसरी ओर अगर किसी की आय पाच लाख से कम है और उसे रिफंड चाहिए तो ऑनलाइन रिटर्न ही दाखिल करना होगा।

सावधानी से करें कोड का चयन
आइटीआर भरते समय पूरा ध्यान दें, क्योंकि व्यापार संबंधी जानकारी के कोड बदल गए हैं। इसलिए सही कोड का चयन करना भी जरूरी है। चूक होने पर करदाता को बाद में असेसमेंट के दौरान परेशान होना पड़ सकता है। कमीशन या ब्रोकेज हुई आय पर आइटआर-३ फार्म लगेगा। उन्हें बैलेंस शीट के साथ प्रॉफिट और लॉस भी जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह सभी जानकारी रिटर्न में बताना होगा। यदि किसी को पार्टनरशिप फर्म से प्रॉफिट, ब्याज या वेतन मिल रहा है तो उस स्थिति में भी बैलेंसशीट प्रॉफिट और लॉस अकाउंट जमा करना अनिवार्य होगा।


सीए पीयूष जैन, अध्यक्ष, आईसीएआई भिलाई - अभी 31 जुलाई तक रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माने से बचा जा सकता है। आयकर विभाग ने कई बदलाव किए हैं, जिसे समझकर ही रिटर्न दाखिल करें।