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CG News: बोर्ड परीक्षा में बना नया रिकॉर्ड, लड़कों ने चुना रोजगार, लड़कियों की हो गईं शादियां

CG News: स्कूली छात्राओं ने सबसे ज्यादा परीक्षाएं छोड़ी हैं। लड़कियों में से अधिकतर के परिवार से पढ़ाई से दूरी बनाकर के उनकी शादियां करवा दी है।

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भिलाई

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Love Sonkar

Sep 16, 2025

CG News: बोर्ड परीक्षा में बना नया रिकॉर्ड, लड़कों ने चुना रोजगार, लड़कियों की हो गईं शादियां

CG News: छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में इस साल नया रिकॉर्ड कायम हो गया। कक्षा 12 वीं की परीक्षा को छोड़ने के मामले में 6.2 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल जिले में जहां 562 विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षा नहीं दी थी, इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 674 हो गया है। माशिमं के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूली छात्राओं ने सबसे ज्यादा परीक्षाएं छोड़ी हैं। लड़कियों में से अधिकतर के परिवार से पढ़ाई से दूरी बनाकर के उनकी शादियां करवा दी है। वहीं जो लड़के बचे, उन्होंने भी परिवार की जरूरतों को पूरा करने परीक्षा छोड़कर रोजगार को चुन लिया है।

स्कूलों ने भरवाए थे फॉर्म

जिला शिक्षा विभाग का कहना है कि परीक्षाओं में गैरहाजिर रहे बच्चों से संपर्क कर परीक्षा फॉर्म भराए। ये सभी बच्चे सालभर स्कूल से नदारद रहे, लेकिन स्कूल ने परीक्षाओं में बैठाने के लिए इनका नाम हाजिरी रजिस्टर से नहीं काटा। इसमें सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे हैं, जिनके परिवार ने परीक्षा को लेकर तवज्जो नहीं दी। ग्राम पंचायतों से मिले आंकड़े बताते हैं कि कोरोना काल के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लड़के-लड़कियों ने मनरेगा में पंजीयन करा लिया।

चौकाएंगे यह आंकड़े - माशिमं की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा एक मार्च से शुरू हुई। दुर्ग जिले से इस साल कक्षा १०वीं में 17,540 और कक्षा १२वीं के 16,840 बच्चे परीक्षाओं के लिए पंजीकृत हैं। कक्षा 12 वीं की परीक्षा के दौरान 134 परीक्षा केंद्रों के 13,149 परीक्षार्थियों में से 12809 हाजिर रहे, शेष ने बोर्ड परीक्षा छोड़ दी।

इसलिए नहीं दी बोर्ड परीक्षा

बोर्ड परीक्षा छोड़ने वाले कुछ लड़के और लड़कियों से पत्रिका ने अपने स्तर पर बात की। इनमें से ज्यादातर ने कहा कि बोर्ड परीक्षा के लिए वे तैयार ही नहीं हैं। पढ़ने की आदत अब छूट चुकी है। इसलिए उन्होंने पहले नियमित कक्षाओं से दूरी बनाई, फिर परीक्षा नहीं देना ही तय किया। कुछ लड़कियों ने यहां तक कहा कि परिवार ने उनकी पढ़ाई में सहमति नहीं दिखाई। उसमें पढ़ने की ललक थी, लेकिन सालभर पहले से ही मनरेगा सहित अन्य कार्यों में लग गए।

स्कूलों ने अपने स्तर पर सालभर गैरहाजिर रहे बच्चों के फार्म भरवाए, ताकि उन्हें परीक्षा में बैठने मिले, लेकिन बड़ी संख्या में बच्चों ने अपने कारणों से परीक्षाएं छोड़ दी है। विभाग इस संबंध में मंथन कर रहा है।

अरविंद मिश्रा, डीईओ, दुर्ग