
आईआईटी कैंपस, Bhilai में कब्जा कर रहने वालों के झोपड़ों पर चले प्रशासन के बुलडोजर
भिलाई. कुटेलाभांठा के पास दो दशकों से कच्चे मकान बनाकर रहने वालों को प्रशासन ने तीन नोटिस थमाया और इसके बाद झोपड़ों को ढहाने की कार्रवाई शुरू कर दी। पीडि़तों का कहना है कि पहले सरकारी योजना के तहत बने आवासों में व्यवस्थापित किया जाना था। इसके बाद कार्रवाई की जाती। अचानक गरीबों के मकानों पर बुलडोजर चला दिया गया। कार्रवाई करने वालों ने इतना वक्त भी नहीं दिया कि भीतर से मजदूर अपना बर्तन और अनाज निकाल लेते। अब वे सरकार से मिन्नतें कर रहे हैं कि कम से कम व्यवस्थापन कर दिया जाए। यहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
14 परिवारों से छिन गया छत, 70 से अधिक लोग हुए बेघर
यहां रहने वाले करीब 14 परिवारों को प्रशासन की ओर से अलग-अलग समय में तीन नोटिस दी गई। दूसरा ठिकाना नहीं होने की वजह से वे इंतजार कर रहे थे कि जब कार्रवाई करने टीम आएगी तब वे व्यवस्थापन की मांग करेंगे। ऐसा हुआ नहीं टीम कार्रवाई करने पहुंची और एक-एक कर झोपड़ों को ढहाने की कार्रवाई शुरू कर दी।
25 को बेटी की शादी
कुटेलाभांठा में रहने वाले एक परिवार के घर में बेटी की शादी है। प्रशासन ने शादी तक का समय दिया है। 25 अप्रैल को विवाह कार्यक्रम पूरा होने के बाद उनके मकान को ढहा दिया जाएगा। परिवार घर में विवाह है इसके बाद भी खुशी नहीं मना पा रहा है क्योंकि शादी के बाद सिर से छत गायब होने वाली है। इसके लिए उनको किराए का मकान या दूसरी खाली जमीन तलाशनी होगी।
पूरी रात बिताए रास्ते में
अजय यादव, पीडि़त, निवासी कुटेलाभांठा ने बताया कि कुटेलाभांठा के समीप करीब 20 साल से अधिक समय से कच्चा मकान बना कर रह रहे हैं। ठेले में चाय बनाकर बेचता हूं। जिससे परिवार के तीन सदस्यों का पालन पोषण हो रहा है। अब घर टूट जाने से नई परेशानी खड़ी हो गई है। पूरी रात रास्ते में परिवार के साथ बिताना पड़ा है। कम से कम व्यवस्थापन तो करना चाहिए।
मां अकेले रहती
राम गोपाल श्रीवास्तव, निवासी, भिलाई ने बताया कि यहां बुजुर्ग मां अकेले रहती है, वह आसपास हॉस्टल या किसी होटल में काम कर अपना जीवन बसर कर रही थी। उसके मकान को सीधे ही भारी वाहन से ढहा दिया गया। मां को बर्तन और भीतर में रखे अनाज, कंडे तक निकालने का समय नहीं दिए। अब वह कहां जाएगी। उसे व्यवस्थापित किया जाए, यही मांग है।
मजबूरी में 20-20 साल से सरकारी जमीन पर रह रहे
अंजु यादव, निवासी कुटेलाभांठा ने बताया कि जमीन खरीदने पैसा नहीं है, किराया के मकान में रह नहीं सकते। इस वजह से मजबूरी में सरकारी जमीन पर 20-20 साल से झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। प्रशासन को पहले यहां के परिवारों को दूसरे जगह शिफ्ट करना था, इसके बाद घरों को तोडऩा था। जिस तरह से दूसरी बस्तियों को उजाड़ते वक्त किया जाता है।
Published on:
14 Apr 2022 11:19 pm
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