
CG Fraud case: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई का सहारा लेकर ठगों ने ठगी का नया तरीका डेवलप कर लिया है। एआई की मदद से हूबहू आवाज कॉपीकर लोगों को फोन किए जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला नेहरू नगर स्टील कालोनी निवासी शहर के प्रसिद्ध प्रोफेसर डॉ. डीएन शर्मा के साथ हुआ है। ठग ने एआई की मदद (AI Voice Scam) से डीएन शर्मा की हूबहू आवाज में उनके परिचित दुकानदार को फोन कर पैसों की डिमांड की। डॉ. शर्मा जिस किराना दुकान से अपना राशन खरीदते हैं, उसके मालिक को ठग ने डॉ. शर्मा की आवाज में फोन किया।
ठग ने कहा कि, उनके बेटे विदेश में रहते हैं। मैं (डॉ. शर्मा) ऑनलाइन पेमेंट या यूपीआई का इस्तेमाल नहीं करना जानता, इसलिए बेटे आपके (दुकानदार) के यूपीआई पर पैसे भेजेंगे। डॉ. शर्मा की हूबहू आवाज सुनकर पहले तो दुकानदार कुछ भी समझ नहीं पाया और ओके बोलकर फोन काट दिया। इसके कुछ देर बाद फिर ठग का फोन आया। इस बार ठग ने फर्जी पेमेंट का स्क्रीनशॉट और मैसेज भेजे और यह रकम दूसरे नंबर पर यूपीआई करने को कहा।
CG Fraud case: दरअसल, यह बैंक द्वारा भेजा गया मैसेज नहीं था, जिसे दुकानदार ने भांप लिया। ठग के बार-बार फोन करने पर तंग आकर दुकानदार ने ठग को खरी-खोंटी सुनाई। फिर दुकानदार को ठग का फोन आना बंद हो गया। दुकानदार ने इसकी जानकारी डॉ. शर्मा के बेटे को दी। डॉ. शर्मा रविवार को पुलिस में मामले की शिकायत दर्ज कराएंगे।
AI Voice Scam: एआई वाइस स्कैम एक तरह का ऐप या सॉफ्टवेयर बेस्ड सिस्टम है। यह पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करता है। एआई में जिस व्यक्ति की आवाज डाली जाती है, यह उसे प्रोसेस कर आगे की पूरी बातचीत उसी आवाज में कर लेता है। एआई बेस्ड आवाज और सामान्य व्यक्ति की आवाज को फोन पर पहचानने में मुश्किल आ सकती है। जिसका फायदा उठाकर ठग लोगों को शिकार बनाते हैं। इस साल छत्तीसगढ़ में 14 से अधिक मामलों में इस तरह की ठगी हो चुकी है। ठग इंस्टाग्राम या फेसबुक से व्यक्ति की जानकारी जुटाते हैं। उनके परिचित के मोबाइल नंबर या वॉट्सऐप पर मैसेज करते हैं या फिर उन्हें फोन कर अपनी समस्या बताते हैं। परिचित का मामला होने पर लोग हड़बड़ी में ठगी का शिकार हो जाते हैं।
ठगी के खिलाफ जागरुक हो रहे लोगों को लूटने के लिए ठगों ने अब कंप्यूटर बेस्ड टेक्नोलॉजी का सहारा लेना शुरू कर दिया है। डॉ. शर्मा के परिचित दुकानदार ने सूझबूझ दिखाकर इस ठगी को होने से रोक दिया है। यह घटना होने के तुरंत बाद डॉ. शर्मा ने अपने फेसबुक और वॉट्सऐप पर इसकी सूचना भी डाल दी ताकि ठग उनके किसी अन्य परिचित को फोन न कर सके। ऐसा ही आपको भी करना होगा।
दरअसल, एआई की मदद से किसी भी व्यक्ति की आवाज को हूबहू कॉपी किया जा सकता है। इसके बाद कंप्यूटर या मोबाइल एप्लीकेशन की मदद लेकर ठग संबधित व्यक्ति के दोस्त और रिश्तेदारों को फोन करते हैं। मोबाइल पर आए फोन पर लोग बहुत अधिक ध्यान नहीं देते, जिससे ठगी हो जाती है। बाद में पता चलता है कि यह ऑनलाइन फ्रॉड था।
ठग - हैलो…., मैं डॉ. डीएन शर्मा बोल रहा हूं। आप नीरज जैन बोल रहे हो।
दुकानदार - हां जी बोल रहा हूं। बताइए सर कैसे हैं…।
ठग - भाई, थोड़ी समस्या है। बेटे विदेश में हैं, उन्हें मुझको पैसे भेजने है। आप अपने खाते में ले पाएंगे क्या? यह पैसे मुझे दूसरे नंबर पर भेज देना। मुझको यह ऑनलाइन पेमेंट ऐप चलाने नहीं आता है।
दुकानदार - हां, जी…, सर भेजने बोल दीजिए। पैसे आते हैं तो फिर करवाता हूं।
ठग - देखिए, आपके खाते में पैसे आए क्या?
दुकानदार - नहीं आए हैं। मेरे अकाउंट में कोई एंट्री नहीं है।
ठग - अरे…, अच्छे से देखिए। रुकिए मैं स्क्रीन शॉट भेजता हूं।
दुकानदार - सर…, आपकी रकम नहीं आई है। आपने जो स्क्रीनशॉट भेजा है वह तो सामान्य मैसेज है, बैंक का नहीं। यूपीआई में ऐसा इंटरफेस नहीं आता।
ठग - भाई, अच्छे से देखो, 85 हजार रुपए भेजे हैं। आपको मिल गए होंगे, मुझे जरूरत है, कृपया दूसरे नंबर पर भेज दीजिए।
दुकानदार - पहली बात तो यह की आप डॉ. डीएन शर्मा नहीं बोल रहे हो। मैं उस परिवार को अच्छी तरह से जानता हूं। फ्रॉड करने की कोशिश कर रहे हैं। किसी के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं। (यह आखिरी बात सुनकर ठग समझ गया कि यहां उसकी दाल नहीं गलने वाली है। इसके बाद ठग ने फोन नहीं किया)
Updated on:
10 Nov 2024 12:55 pm
Published on:
10 Nov 2024 12:53 pm
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