इस सौर ऊर्जा संयंत्र को एलिवेटेड मॉडल के रूप में स्थापित करने का यह उद्देश्य है कि इसके नीचे की जमीन का उपयोग जानवरों के लिए चारा उत्पादन में किया जा सकेगा। परियोजना से प्राप्त बिजली का उपयोग
मैत्रीबाग व निकटवर्ती जवाहर उद्यान में किया जाएगा।
जमीन से 5.5 मीटर ऊपर
यह सौर संयंत्र, सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे ऊंची संरचनाओं में से एक है। इसके सामने की ऊंचाई 3.5 मीटर है जो जमीन से 5.5 मीटर की ऊंचाई तक पीछे की ओर बढऩे पर बढ़ती जाती है। इस ऊंचाई को प्राप्त करने व पूरे ढांचे की स्थिरता बनाए रखने के लिए इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है। इसका वजन करीब 30 टन है जो कि 200 किलोवॉट सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे भारी सौर संरचनाओं में से एक है। प्रतिमाह करेगा 24,000 यूनिट बिजली उत्पादन
यह सौर ऊर्जा संयंत्र प्रतिमाह 24000 यूनिट बिजली व न्यूनतम 2,88,000 यूनिट बिजली का उत्पादन प्रतिवर्ष करेगा। इस सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के बाद मैत्रीबाग को प्रति माह 2 लाख रुपए की बचत होगी। इसके साथ ही यह सौर ऊर्जा संयंत्र प्रतिदिन 250 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को बचाएगा।
इस परियोजना को जनवरी तक पूर्ण करने का टारगेट रखा गया है। यह परियोजना हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देता है। हरित ऊर्जा के उत्पादन से वायुमंडल में जहरीली ग्रीनहाउस गैसें नहीं निकलती हैं, इसका अर्थ है कि इससे पर्यावरण पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। – पवन कुमार कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) बीएसपी
30 जुलाई 2024 को हुआ था भूमिपूजन
ज्ञात हो कि सेल-
भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) पवन कुमार ने 30 जुलाई 2024 को मैत्री बाग इस सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए भूमिपूजन किया था। इस परियोजना को जनवरी माह तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है| यह परियोजना हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देता है|
विदित हो कि हरित ऊर्जा, नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा के लिए एक शब्द है। हरित ऊर्जा को अक्सर स्वच्छ, टिकाऊ या नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में संदर्भित किया जाता है। हरित ऊर्जा के उत्पादन से वायुमंडल में जहरीली ग्रीनहाउस गैसें नहीं निकलती हैं, जिसका अर्थ है कि इससे पर्यावरण पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।