24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

BSP ने भर्ती किसी और काम के लिए लिया, कराया कुछ और काम और अब थोक में कर रहे तबादले

नई यूनिट आने के बाद दूसरी पुराने यूनिट बंद होती, तो उसके कर्मचारी नए यूनिट में जाते।प्रबंधन ने पुराने को भी रनिंग में रखा है।

2 min read
Google source verification

भिलाई

image

Dakshi Sahu

Apr 09, 2018

patrika

भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र के नए मॉडेक्स यूनिट को 2012 तक कमीशनिंग हो जाने का प्लान था। इसको ध्यान में रखते हुए प्रबंधन ने 2010 से ही मॉडेक्स यूनिट के लिए नए कर्मियों की भर्ती की थी। 8साल पहले नए भर्ती हुए कर्मियों को संबंधित अलग-अलग विभागों में ट्रेनिंग के लिए पदस्थ किया। प्रशिक्षण के बाद उनको आने वाले मॉडेक्स यूनिट में काम करने के लिए तैयार करना था।

अधिकांश विभागों के प्रमुखों ने अपने विभाग से रिटायर्ड हो रहे कर्मियों के बदले मॉडेक्स यूनिट के लिए आए हुए ट्रेनी कर्मियों से काम लेना शुरू कर दिया। उन विभाग के प्रमुखों ने अपने विभाग से रिटायर्ड हुए कर्मियों के एवज में अलग से नए कर्मियों की मांग की जानी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, इसीलिए अब यहां कर्मियों की कमी से अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है।

प्लानिंग का दिख रहा अभाव
बीएसपी प्रबंधन के प्लानिंग पर सीटू ने सवाल खड़ा किया है।प्रबंधन ने अब तक नए व पुराने यूनिटों के लिए मैन पॉवर को लेकर जो भी प्लान किया है, वह सारे विफल हो चुके हैं।

नए यूनिट्स के लिए जितने कर्मियों की भर्ती बाहर से की जानी थी, उतने ही कर्मी प्लांट के उन विभागों से लिया जाना था, जो मॉडेक्स एक्स्पांशन के अस्तित्व में आते ही बंद किया जाना है। नई यूनिट आने के बाद दूसरी पुराने यूनिट बंद होती, तो उसके कर्मचारी नए यूनिट में जाते।प्रबंधन ने पुराने को भी रनिंग में रखा है।

प्रोजेक्ट में लेटलतीफी से बढ़ी दिक्कत
सीटू के महासचिव डीवीएस रेड्डी ने बताया कि एक्सपांशन प्रोजेक्ट के लेटलतीफी व प्रॉपर प्लानिंग का आभाव हर स्थान पर नजर आ रहा है। एक ओर जहां आज की तारीख में नए यूनिट को भी चालू करने का चैलेंज है। वहीं नए यूनिट से उत्पादन शुरू होते तक पुराने यूनिट बंद करने की सारी संभावनाओं पर पूरी तरह से रोक लग गया है।

इसकी वजह यह है कि नई इकाईयां पूरी क्षमता के साथ उत्पादन शुरू नहीं कर पाती हैं व पुरानी इकाइयां बंद कर दी जाती है तो तय है कि संयंत्र और ज्यादा घाटे में चला जाएगा तथा जल्द से जल्द घाटे से उभरने का ख्वाब भी अधूरा रह जाएगा।

बीएसपी कर्मियों ने तब क्षमता से बेहतर किया था काम
रेड्डी ने बताया कि जब इंडियन रेलवे ने भिलाई इस्पात संयंत्र व सेल के सामने हर साल11 लाख टन रेल डिस्पैच करने का टारगेट रखा, तब बीएसपी की अधिकतम क्षमता 8 टन रेलपांत उत्पादन की थी। उस समय भिलाई प्रबंधन में रेल मिल के कर्मियों के लिए प्रेप ट्रेनिंग कार्यक्रम किया।

संयंत्र के रेलमिल कर्मियों के तरफ से आए हुए सुझाव पर अमल करते हुए बीएसपी ने करीब १1 लाख से ज्यादा रेलपांत का उत्पादन कर रेल के आर्डर को सरकार के ग्लोबल टेंडर करने से रोक पाने में सफल हुए। संयंत्र को बेहतर स्थिति में लाकर खड़ा कर पाए।

आज जब मंदी के बीच में ही नए इकाइयों को शुरू करने का संयंत्र के ऊपर दबाव बढ़ रहा है, तो ऐसे समय में कर्मियों के लिए ट्रेनिंग, सुझाव अथवा परिचर्चा कार्यक्रम को करना चाहिए। अभी भी कर्मियों के पास तय रूप से ऐसे सुझाव होंगे, जो संयंत्र को बेहतर स्थिति में पहुंचाने के लिए मदद कर सकते हैं। इसके लिए प्रबंधन को आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए।