
भिलाई. कभी माओवादियों का गढ़ माना जाने वाला कांकेर के प्रतापपुर का महला गांव क्षेत्र ऐसा सुरक्षित इलाका बन गया है, जिसे नक्सलियों का पार करना लगभग असंभव है। यहां बीएसएफ की बटालियन मुस्तैदी से तैनात है और माओवादियों के मंसूबों को नाकाम कर रही है। गढ़चिरौली और माड़ के बीच इसी रास्ते से मूवमेंट करने वाले माओवादियों के लिए यह बैरियर बन गया है। हाल में कैम्प पर बड़े माओवादी हमले के बाद पहली रिपोर्ट पेश कर रही है पत्रिका टीम।
बस्तर और गढ़चिरौली के बीच माओवादियों का मूवमेंट रोकने वाला महला कैम्प है। बीएसएफ की 114वीं बटालियन के इस कैम्प के सामने माओवादियों के हौसले पस्त नजर आते हैं। बीएसएफ के इस बैरियर को पार करने में नाकामयाब होने के बाद अब माओवादियों ने इस कैंप को निशाना बनाया है। कांकेर के पंखाजुर से 28 किमी की दूरी पर महला गांव के क्षेत्र माओवादियों के इस गढ़ को बीएसएफ ने लगभग खत्म कर दिया है।
एक बार फिर यहां ग्रामीण लौटने लगे हैं। कुछ दिनों में नक्सलियों पर लगाम लगाने के लिए फोर्स ने कार्रवाई तेज कर दी है। इससे डर कर माओवादी अपने आप को छिपा रहे हैं। जितना फोर्स जंगलों के अंदर अपने कैम्प को बढ़ा रहे है। उतना ही नक्सली अपने आप को बचाने के लिए घने जंगलो में भाग रहे है। दूसरे इलाको में अपने आप को देख रहे है।
दोबारा अपने गढ़ में पैर जमाने की कोशिश कर रहे माओवादी
पहले बस्तर का यह धुर माओवाद प्रभावित क्षेत्र था। 2010 बीएसफ फोर्स आने से उत्तरी बस्तर कांकेर में माओवाद प्रभाव कम हुआ है। दक्षिण बस्तर से सटे प्रदेश में माओवादियों पर नकेल कसने के कारण वहां माओवाद प्रभाव कम हो रहा है। इसके बाद नक्सली अपने को स्थापित करने के लिए महाराष्ट्र के चंद्रपुर और गढ़चिरौली जिले में अधिक सक्रिय होने लगे।
फोर्स ने वहां पर अपनी सक्रियता बढ़ाकर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। इस कारण बहुत से माओवादी का गु्रप का गु्रप आत्म सम्पर्ण कर रहें है। उनको कोई अब रास्ता नहीं दिख रहा है। जिसके कारण माओवादी अपनी पुरानी जगहों पर आ रहे हंै,और फोर्स पर हमला करके अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रतापपुर थाने और महला गांव के बीच अरुण नाले के पास हुए नक्सलियों को मुंहतोड़ जबाब देने वाले बीएसफ के ३५ जवानों ने अदम्य साहस का नया उदाहरण पेश किया है। यह पहली नक्सली घटना है जब एक क्षेत्र में ५० से ५५ कुकर आइडी बरामद हुए। बीएसएफ के जवान कभी हार नहीं मानते और उनके हौसले हमेशा बुलंद होते हैं।
आईजी बीएसएफ जेबी सांगवान ने बताया कि महला के पास हुए ब्लॉस्ट में घायल जवान ने इसी जज्बे को कायम रखा। जज्बे को फोर्स सलाम करती है। इससे भी बड़ी बात यह है कि वह ठीक होकर दोबारा उसी पोस्टिंग में जाना चाहता है। नक्सलियों की बौखलाहट का अंदाजा हमें पहले से ही था, इसलिए हमेशा टीम अलर्ट ही रहती है।
15 मिनट में नक्सलियों को भागने पर किया मजबूर
मुठभेड़ में कांस्टेबल जय भगवान कंधे पर गोली लगी, बांए हाथ की सबसे छोटी उंगली गोली लगने से गायब हो गई। उनके पेट और कलाई के ऊपरी हिस्से में कुकर आइडी ब्लास्ट से चोट आई है। असिस्टेंट कमांडेंट अजय कुमार सिंह और संजीव झा सहित 35 जवानों की टीम ने 15 से 20 मिनट के अंदर माओवादियों को भागने पर मजबूर कर दिया।
Published on:
28 Apr 2018 01:13 pm
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