
भारत के 243 पब्लिक सेक्टर यूनिटों में करीब 8,42,000 कार्मिक कार्यरत हैं। इसमें से लगभग 1 लाख 80 हजार कार्यपालक अधिकारी है व शेष लगभग 6 लाख 62 हजार गैर कार्यपालक कर्मचारी व सुपरवाइजर श्रेणी के कार्मिक हैं।
इन पब्लिक सेक्टर कंपनियों में कार्यरत कार्यपालक अधिकारी वर्ग के वेतन वृद्धि के लिए लोक उद्यम विभाग (डीपीई) हर 10 साल में पे-रिवीजन कमेटी का गठन करता है। यहां तक कि केंद्र व राज्य सरकार के सभी कार्मिकों के लिए भी वेतन आयोग का गठन किया जाता है। पीएसयू अधिकारी वर्ग के लिए पिछला पे-रिवीजन कमेटी 2017 में गठित की गई थी। इसके रिपोर्ट के आधार पर सभी लाभप्रद पीएसयू में कार्यरत अधिकारी वर्ग को अधिकतम 15 फीसदी मिनिमम गारंटी बेनिफिट, 35 फीसदी पक्र्स व 5 फीसदी परफॉर्मेंस रिलेटेड-पे का लाभ दिया गया था।
वहीं पब्लिक सेक्टर कंपनियों में कार्यरत 6,62,000 गैर कार्यपालक कर्मचारियों को मोल भाव सिस्टम का हवाला देकर लोकल प्रबंधन और यूनियन लीडर के भरोसे छोड़ दिया गया है। इस मोल भाव वाली प्रक्रिया में शामिल अधिकतर यूनियन लीडर गैर निर्वाचित हैं। इसको स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील (एनजेसीएस) में शामिल यूनियन नेताओं की सूची को जांच पड़ताल कर जाना जा सकता है। इस मोल भाव वाली प्रक्रिया से देश, कंपनी व कर्मचारियों को काफी नुकसान हो रहा है।
- वेज रिवीजन लाभ समय पर व सही तरीके से लागू करना बाध्यकारी।
- अलग-अलग पीएसयू में गैर कार्यपालक कर्मियों का वेतन समझौता मीटिंग व सभी मीटिंग का नाम पर होने वाले करोड़ो रुपए खर्च का बचत,
- हड़ताल, प्रदर्शन, धरना, घेराव से मुक्ति,
- बाहरी व गैर निर्वाचित नेताओं की बड़ी फौज ने किए घाटे वाले समझौता से मिले मुक्ति,
अभिषेक सिंह, महासचिव, बीएकेएस, भिलाई, ने बताया कि पीएसयू में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन भत्ते, बोनस, पीआरपी के निर्धारण के लिए पे-रिवीजन कमेटी का गठन बहुत जरुरी है। उसकी अनुशंसा पर सभी पीएसयू कंपनियो में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन भत्तों में बढ़ोतरी एक फॉर्मुला के तहत किया जा सकेगा। इससे सभी पीएसयू के कर्मियों को बेवजह हड़ताल, धरना, प्रदर्शन, घेराव नहीं करना होगा।
Updated on:
21 Jul 2024 05:07 pm
Published on:
21 Jul 2024 04:59 pm
बड़ी खबरें
View Allभिलाई
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
PM नरेन्द्र मोदी
