
भिलाई. बच्चे देश का भविष्य हैं और इन दिनों देश के भविष्य की परीक्षा की घड़ी चल रही है। वे दिन-रात एक करके एग्जाम्स की तैयारी में जुटे हुए हैं। मगर, हमारी और आपकी कुछ गतिविधियों से उनका नुकसान हो रहा है। जरूरत है उन चीजों को जानने और समझने की जिनसे हम स्टूडेंट्स की मदद कुछ अलग अंदाज में कर सकें।
निभा सकते हैं अहम भूमिका
परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, एेसा समय जब स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा जरूरत होती है फोकस और कन्संट्रेशन की, मगर इसी समय वे सबसे ज्यादा डिस्टर्ब भी होते हैं। दरअसल एग्जाम के दौरान सिर्फ स्टूडेंट्स ही नहीं हमारी भी कुछ नैतिक जिम्मेदारियां बनती हैं। जिन्हें जानकर और समझकर हम न सिर्फ बच्चों की मदद कर सकते हैं बल्कि देश का भविष्य गढऩे में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
शासकीय दायित्व
सख्त हो नियमों का पालन- सामुदायिक विवाह स्थलों व ओपन मैरिज गार्डन्स में डीजे व लाउड म्यूजिक प्रतिबंधित किया जाए।
फेस्टिवल्स में न हो हुड़दंग- धार्मिक त्योहारों और पर्वों के दौरान निश्चित समय सीमा के बाद हुड़दंग और शोर-शराबा न हो ।
सेंटर्स हों सेफ- एग्जाम्स सेंटर्स के आस-पास का माहौल स्टूडेंट्स के लिए फ्रैंडली बनाया जाए, वहां असामाजिक तत्व न पहुंचें।
सामाजिक दायित्व
ड्रॉप करें सेंटर तक- पैदल या जल्दबाजी में जा रहे स्टूडेंट को एग्जाम सेंटर तक छोड़ आएं, उनका समय और साल दोनों बच जाएंगे।
पार्टी यूं ना चलेगी- शादी-विवाह जैसे इवेंट्स में डीजे और तेज साउंड सिस्टम न बजाएं, छोटी पार्टीज पोस्पोन्ड कर दें।
मल्टीप्लैक्स न बनाएं घर को- घरों में शोरगुल, टीवी या म्यूजिक तेज वॉल्यूम पर न सुनें।
पारिवारिक दायित्व
नो मोर प्रेशर- स्टडी के लिए बच्चों पर बिल्कुल भी दबाव न बनाएं, वे क्षमता के अनुसार ही पढ़ सकते हैं, उम्मीदों के अनुसार नहीं।
तुलना करना गलत है- बच्चों की तुलना न करें, इससे वे डिप्रेशन में आ सकते हैं, उन्हें लगातार मोटिवेट करते रहें।
शांतिमय हो सदन- घरों में हैल्दी माहौल बनाए रखें। आपसी झगड़ों और प्रॉब्लम्स से बच्चों को दूर रखने का प्रयास करें।
Published on:
06 Mar 2018 11:19 am
