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राजमिस्त्री का बेटा बना टॉपर, गांव की बेटी डॉक्टर बन करना चाहती है गरीबों की सेवा

बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में जिले के चार विद्यार्थियों ने प्रावीण्य सूची में स्थान हासिल किया है।

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राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने आज सुबह दसवीं और बारहवीं बोर्ड के नतीजे एक साथ घोषित किए। जिले में इस बार कक्षा दसवीं में २७ हजार ६१० परीक्षार्थी और बारहवीं बोर्ड में व्यवसायिक पाठ्यक्रम को मिलाकर १९ हजार ३५ परीक्षार्थी शामिल हुए थे।

बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में जिले के चार विद्यार्थियों ने प्रावीण्य सूची में स्थान हासिल किया है। इनमें तीन ग्रामीण क्षेत्र के हैं। बारहवीं बोर्ड में शहरी बच्चों को पछाड़कर ग्रामीण इलाकों के बच्चों ने अपना परचम लहराया है।

नोहर टॉप 5 में

बारहवीं में शासकीय स्कूल खैरागढ़ के नोहर पिता गोपीराम साहू ने प्रावीण्य सूची में पांचवा स्थान हासिल किया है। संस्कार हायर सेकेंडरी स्कूल अंबागढ़ चौकी की आस्था लता पिता श्यामसुंदर ने सातवां स्थान हासिल किया है। प्रावीण्य सूची में नौवें स्थान पर बाजार अतरिया की चंचल पिता सुमालु दास वर्मा ने हासिल किया है। सीजी 12 वीं बोर्ड परीक्षा में राजनांदगांव के सरकारी स्कूल के छात्र नोहर ने 5 वां रैंक हासिल किया है। नोहर ने कड़ी मेहनत के दम पर 96.40 प्रतिशत अंक अर्जित कर सरकारी स्कूल की पढ़ाई का लोहा मनवा दिया है। राजनांदगांव जिले के चंचल वर्मा 95.60 प्रतिशत के प्रदेश में 9 वें स्थान पर रही हैं। दुर्ग संभाग के सात छात्रों ने टॉप टेन में जगह बनाकर प्रदेश में सफलता के परचम गाड़ दिए हैं।

खैरागढ़ संवाददाता खिलेन्द्र नामदेव ने बताया कि खैरागढ़ शहर से राजनांदगांव मार्ग स्थित पेंड्री कला के नोहर साहू साधारण परिवार में पला छात्र है। पिता राजमिस्त्री और मां गृहणी हैं। 4 भाई बहन में दूसरे नोहर हर विषय में विशेष योग्यता धारी है। नोहर को राष्ट्रीय योगा छात्र होने के चलते 15 अंक अतिरिक्त मिले हैं। नोहर ने कुल 482 अंक हासिल किए हैं। नोहर 12 वीं गणित का छात्र होने के बाद अपने पूरे विषय की परीक्षा के साथ बायो का पर्चा भी दिया बायो में भी नोहर को 83 अंक मिले हैं।

डाक्टर बनना चाहती है चंचल
प्रावीण्य सूची में नौवें नंबर पर आई चंचल वर्मा डाक्टर बनना चाहती है। बाजार अतरिया में ही फिजिक्स और केमेस्ट्री की कोचिंग लेकर बारहवीं में सफलता दर्ज करने वाली चंचल कहती है कि उसे इस सफलता का पूरा भरोसा था। उसने बताया कि अब उसका लक्ष्य नीट है। चंचल डाक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहती है।

11 बजे अपलोड किए गए रिजल्ट
दुर्ग जिले के करीब 35 हजार बच्चों की धड़कन तेज हो गई थी। उन्हें उस घड़ी का इंतजार था, जब इंटरनेट पर रिजल्ट अपलोड कर दिया जाएगा। इन सब के बीच यह याद रखना भी जरूरी है कि यह जिंदगी की अंतिम परीक्षा नहीं। किसी कारण अगर नंबर कम भी आ गए तो हताश होने की बजाए यह सोचकर आगे बढ़ें कि हमारी जिदंगी कीमती है। जिंदगी की परीक्षा बोर्ड एग्जाम से नहीं पास की जा सकती। जो युवा अपने परिणामों को जिंदगी मान बैठते हंै उन्हें भी यह सोचना होगा कि उनके साथ पूरे परिवार की खुशियां उनसे जुड़ी हुई है।