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प्रदेश में फिर सक्रिय हुआ नया सिस्टम, इन जिलों में अगले 4 दिनों तक भारी बारिश का अलर्ट जारी

CG Monsoon Update 2025: मौसम तंत्र मानसून की बारिश के लिए अभी अनुकूल बना हुआ है, इससे अगले 5 दिन दुर्ग जिले में हल्की से मध्यम बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना है।

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भारी बारिश का अलर्ट जारी (Photo source- Patrika)

भारी बारिश का अलर्ट जारी (Photo source- Patrika)

CG Monsoon Update 2025: दो दिनों की झड़ी के बाद सोमवार को मौसम खुल गया। हालांकि तापमान में बड़ी गिरावट दर्ज हुई। दुर्ग जिले का अधिकतम तापमान औसत से 4.4 डिग्री नीचे आकर अब तक का सबसे कम 27.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। न्यूनतम तापमान में भी कमी आई और पारा 21.3 डिग्री सेल्सियस रहा। रात को हुई बारिश से ठंडक में इजाफा हो गया। सोमवार को दिन में 6.8 मिमी. वर्षा रिकॉर्ड की गई।

CG Monsoon Update 2025: शुरू हो सकती है रिमझिम झड़ी

मौसम विभाग के विशेषज्ञ एचपी चंद्रा ने बताया कि, मौसम तंत्र मानसून की बारिश के लिए अभी अनुकूल बना हुआ है, इससे अगले 5 दिन दुर्ग जिले में हल्की से मध्यम बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। दुर्ग जिले में मंगलवार को भी रिमझिम झड़ी शुरू हो सकती है। वहीं मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश और बिजली गिरने का अलर्ट जारी किया है।

पिछले 24 घंटों का मौसम पिछले 24 घंटों में मध्य और दक्षिण छत्तीसगढ़ के कुछ स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गई। इस दौरान बिलासपुर में अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि राजनांदगांव में सबसे कम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

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यह तापमान का अंतर छत्तीसगढ़ के विविध भौगोलिक क्षेत्रों को दर्शाता है। मानसून की यह सक्रियता छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। खेतों में पानी की उपलब्धता से धान और अन्य फसलों की बुआई में तेजी आएगी।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार…

CG Monsoon Update 2025: मानसून की गतिविधियां मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, औसत समुद्र तल पर मानसून की द्रोणिका श्री गंगानगर, दिल्ली, फतेहगढ़, सीधी, जमशेदपुर और तटीय गंगीय पश्चिम बंगाल के कम दबाव वाले क्षेत्र से होकर दक्षिण-पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्व तक फैली हुई है। इसके अतिरिक्त, एक पूर्व-पश्चिम द्रोणिका दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश से तटीय गंगीय पश्चिम बंगाल के कम दबाव वाले क्षेत्र से जुड़े चक्रवाती परिसंचरण तक जाती है। यह द्रोणिका औसत समुद्र तल से 0.9 से 3.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर बनी हुई है।