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जमीन की दरों में 300 प्रतिशत तक बढ़ोतरी… बढ़ा विवाद, कारोबारी और क्रेडाई कोर्ट जाने की तैयारी!

CG News: जमीन कारोबारी और क्रेडाई पहले ही विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, अब इस मामले को लेकर न्यायालय में याचिका दाखिल करने की तैयारी भी शुरू हो गई है..

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CG News, Land rate

प्रतीकात्मक तस्वीर: पत्रिका

CG News: दुर्ग जिले में कलेक्टर गाइडलाइन के तहत जमीन की सरकारी दरों में एकमुश्त 300 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी के खिलाफ विवाद तेज हो गया है। ( CG News ) जमीन कारोबारी और क्रेडाई पहले ही विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, अब इस मामले को लेकर न्यायालय में याचिका दाखिल करने की तैयारी भी शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार, याचिका में मुख्य आधार यह होगा कि प्रशासन और केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड ने गाइडलाइन तय करने में वैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया।

CG News: नई सरकारी दरें लागू

केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की अनुशंसा पर जिले में जमीन व भवन रजिस्ट्री के लिए नई सरकारी दरें लागू की गई हैं। युक्तिकरण के नाम पर कई क्षेत्रों में दरें चार गुना तक बढ़ा दी गई हैं, जिसके कारण खरीदारों पर चार गुना तक रजिस्ट्री शुल्क का अतिरिक्त बोझ पड़ा है। लगातार विरोध के बावजूद शासन-प्रशासन द्वारा समीक्षा न किए जाने पर अब विरोधी पक्ष कोर्ट की तैयारी में है।

अन्य प्रक्रिया संबंधी आरोप

प्रस्तावित दरों की पड़ताल नहीं - नियमों के अनुसार जिला स्तर से भेजे गए ड्राफ्ट की केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा वास्तविकता आधारित पड़ताल अनिवार्य है। आरोप है कि इस बार यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से नहीं अपनाई गई।

मैदानी सर्वेक्षण के बिना दर तय - नियमों के मुताबिक दर प्रस्तावित करने से पहले जमीनी स्तर पर सर्वे किया जाता है। आरोप है कि इस बार बिना सर्वे सीधे दरें बढ़ा दी गईं।

याचिका में उठाए जाएंगे ये प्रमुख मुद्दे

प्रावधान: प्रस्तावित दरों का सार्वजनिक प्रकाशन कर दावा-आपत्ति आमंत्रित की जाती है और उनके निराकरण के बाद ही अंतिम दर तय होती है।

आरोप: इस बार न तो आपत्तियां मंगाई गईं और न ही उनका निस्तारण हुआ। सीधे 300 फीसद तक बढ़ोतरी कर दी गई।

बाजार मूल्य का औसत आधार नहीं बना

प्रावधान: रेट बढ़ाने का आधार पिछले वर्ष की रजिस्ट्री और उनका औसत मूल्य होना चाहिए।

आरोप: कई इलाकों में एक वर्ष में सौदे बहुत कम हुए या हुए ही नहीं, फिर भी दरें एकसाथ तीन गुना तक बढ़ा दी गईं। 300 फीसद बढ़ोतरी का कोई स्पष्ट आधार नहीं दिया गया।

कृषि भूमि के मूल्यांकन में मनमानी

प्रावधान: बिना डायवर्सन वाली भूमि का मूल्यांकन कृषि दर पर होना चाहिए।

आरोप: शहर से लगे गांवों में खसरा नंबरों को मनमाने ढंग से आवासीय/व्यावसायिक श्रेणी में डालकर दरें अनुपातहीन रूप से बढ़ा दी गईं, जो मास्टर प्लान और भूमि राजस्व संहिता के विपरीत है।

आंदोलन जारी रहा

गाइडलाइन में बढ़ी हुई दरों को लेकर कारोबारियों का आंदोलन शुक्रवार को भी जारी रहा। उन्होंने हिंदी भवन के सामने प्रदर्शन किया और बाद में सरदार पटेल चौक पर मंत्री ओपी चौधरी के प्रतीकात्मक पुतले को फूंका। इस दौरान पुलिस से पुतले को लेकर धक्का-मुक्की भी हुई।

अधिवक्ता एवं राजस्व मामलों के जानकार कौशलल किशोर सिंह ने कहा कि केवल राजस्व बढ़ाने के लिए अव्यावहारिक बढ़ोतरी नहीं की जा सकती। दर तय करने के नियमों का पालन नहीं किया गया है। मामला न्यायालय के पास जाएगा तो गुण-दोष के आधार पर राहत संभव है।

एस्टेट कारोबारी राजा जैनरियल ने कहा कि बिना सर्वे और बिना आधार दरें बढ़ाई गई हैं। पहले कम दाम में बिक चुके प्लॉट की अब ज्यादा कीमत पर रजिस्ट्री करानी पड़ रही है। इनकम टैक्स की परेशानी अलग है। कारोबार ठप हो गया है। जरूरत पड़ी तो कोर्ट जाएंगे।