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ये हैं डॉ. राजश्री, छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल में पढ़कर बनीं ISRO हैदराबाद की जनरल मैनेजर, देश की नामी वैज्ञानिकों में से हैं एक

इसरो के एनआरएससी हैदराबाद (ISRO NRSC Hyderabad) की वैज्ञानिक व महाप्रबंधक डॉ. राजश्री बोथले ने पत्रिका से हुई विशेष बातचीत के दौरान साझा की। ट्विनसिटी को यह जानकर गर्व होगा कि राजश्री का दुर्ग से गहरा नाता है।

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भिलाई

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Dakshi Sahu

Dec 19, 2019

ये हैं डॉ. राजश्री, छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल में पढ़कर बनीं ISRO हैदराबाद की जनरल मैनेजर, देश की नामी वैज्ञानिकों में से हैं एक

ये हैं डॉ. राजश्री, छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल में पढ़कर बनीं ISRO हैदराबाद की जनरल मैनेजर, देश की नामी वैज्ञानिकों में से हैं एक

भिलाई. आने वाले कुछ दिनों में आपके-हमारे मोबाइल का जीपीएस सिस्टम पूरी तरह से इंडिया मेड होगा। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ISRO और इसके अंग जी-तोड़ तैयारी में जुटे हैं। इसरो ऐसे सैटेलाइट पर काम कर रहा है, जिसकी मदद से शहरी विकास, सड़क, रेलवे सहित पड़ोसी देशों पर भी नजर रखी जा सकेगी। इसरो सिर्फ अंतरिक्ष की खोज तक ही सीमित नहीं है, बल्कि समाज और लोगों के लिए भी मददगार साबित हो रहा है। ये बातें इसरो (Indian Space Research Organisation) के एनआरएससी हैदराबाद की वैज्ञानिक व महाप्रबंधक डॉ. राजश्री बोथले ने पत्रिका से हुई विशेष बातचीत के दौरान साझा की। ट्विनसिटी को यह जानकर गर्व होगा कि राजश्री का दुर्ग से गहरा नाता है। उनकी स्कूलिंग मल्टी पपर्स स्कूल से हुई है। सरकारी स्कूल से पढ़कर इसरो तक का सफर और संस्थान की ताकत की कहानी राजश्री की जुबानी...

उस समय सिर्फ जेआरडी (JRD School Durg) में था गणित
डॉ. राजश्री ने बताया कि बात करीब 22 साल पुरानी है। अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर मेंं दुर्ग मल्टीपपर्स स्कूल ही था, जिसमें गणित की पढ़ाई होती थी। 9वीं में गणित लेना और फिर इंजीनियरिंग, सब कुछ बचपन में ही तय कर लिया था। पिता वेटरनरी सर्विस में शासकीय कर्मचारी थे, इसलिए बचपन दुर्ग में ही गुजरा। आज भी यह शहर अपना सा महसूस कराता है। उस समय 11वीं बोर्ड हुआ करती थी, जिसे उत्तीर्ण कर एनआईटी रायपुर से इंजीनियरिंग की। सरकारी स्कूल में पढऩे का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपके हौसले बुलंद हो जाते हैं। मेरे समय में यह स्कूल शानदार हुआ करता था। आज इसरो के साथ काम करने में गर्व महसूस होता है।

पहली बार अंतरिक्ष में जाएंगे भारतीय
चंद्रयान के बाद अब इसरो गगनयान (ISRO Gaganyaan) की तैयारी में जुट गया है। 2022 में संभावित यह लॉन्च होगा। पहली मर्तबा है, जब इसरो अंतरिक्ष में इंसान भेजेगा। गगनयान भारतीय मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा। मेरी जानकारी में भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इसरो दिनों-दिनों तरक्की कर रहा है, जिसे वैज्ञानिक भाषा तक ही सीमित रखना सही नहीं। यही वजह है कि इसरो आमजन के बीच पहुंचकर देश की ताकत साझा कर रहा है। बीआईटी का कार्यक्रम व वॉटर राकेट लॉन्च भी इसका हिस्सा है।

पूरी दुनिया में साबित हुई इसरो की धमक
भले ही 'चंद्रयान-2Ó को (ISRO chandrayaan 2)अपेक्षाकृत सफलता हाथ नहीं लग सकी लेकिन विश्व पटल पर भारत का डंका बजा। भारत के काबिल और होनहार अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने तिरंगे की शान को और बढ़ाने का काम किया। ऐसे दर्जनों प्रोजेक्ट पर वर्क शुरू कर दिया गया है, जिससे इसरो की ताकत पूरी दुनिया के सामने होगी। चांद और मंगल के बाद इसरो सूरज के भी नजदीक होगा। इसके लिए विशेष प्रोग्राम लॉन्च किए गए हैं।

आज होगा मिनी इंडिया में रॉकेट लॉन्च
ट्विनसिटी का इंतजार खत्म हुआ। आज वह दिन है जब पूरा शहर इसरो का वॉटर राकेट लॉन्च देखेगा। इसके लिए आपको बीआईटी पहुंचना होगा। प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई जन्म शताब्दी वर्ष के मौके पर इसरो ये प्रोग्राम करा रहा है, जिसकी मुख्य कर्ताधर्ता डॉ. राजश्री बोथले ही हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन पद्मश्री व इसरो के पूर्व निदेशक डॉ. पीएस गोयल करेंगे।

सुबह 10 बजे से कार्यक्रम शुरुआत होगी। वाटर लॉन्चिंग के लिए बीआईटी दुर्ग ऑडिटोरियम के समीप खाली मैदान चयनित है। बुधवार को इसरो के वैज्ञानिक व सपोर्टिंग स्टाफ ने बीआईटी में दस्तक दे दी। तैयारी शाम तक पूरी कर ली गई। इस कार्यक्रम के बारे में आम लोगों को समझाने के लिए बीआईटी के विद्यार्थियों को वॉलेंटियर बनाकर ट्रेनिंग दी गई है। इसरो दल के साथ सारी मशीनरी ने अपनी जगह ले ली है।