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मां बनकर ही खुशियां बांटी जा सकती हैं : आचार्य डॉ. अजय आर्य

एक सांसारिक प्रसिद्ध उक्ति है कि नारी मां बनकर ही संपूर्ण होती है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश में मातृमान शब्द की व्याख्या की है। भौतिक रूप से मां बनने की एक प्रक्रिया है। किंतु आध्यात्मिक जगत यह मानता है कि मां की तरह सहज, सरल, निस्वार्थ और प्रेम पूर्ण होना ही व्यक्तित्व को पूर्णता देता है।

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आर्य समाज रानीपुर में वैदिक सत्संग का आयोजन

आर्य समाज रानीपुर में वैदिक सत्संग का आयोजन

दुर्ग. आर्य समाज रानीपुर में वैदिक सत्संग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को आचार्य डॉ अजय आर्य ने संबोधित किया। मुख्य यजमान मुनीश आर्य थे। कार्यक्रम का संचालन मंत्री मदन सिंह ने किया। प्रधान डॉ महेंद्र आहूजा ने सभी का स्वागत एवं धन्यवाद किया। प्रो. डॉ वेदव्रत शक्ति सिंह मुनेश राठी आदि ने बच्चों को प्रोत्साहित किया। जितेंद्र आर्य ने मंत्र पाठ किया।

हर दिन व्यक्ति के चिंतन का दिन होना चाहिए
आचार्य डॉ अजय आर्य ने कहा- एक सांसारिक प्रसिद्ध उक्ति है कि नारी मां बनकर ही संपूर्ण होती है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश में मातृमान शब्द की व्याख्या की है। भौतिक रूप से मां बनने की एक प्रक्रिया है। किंतु आध्यात्मिक जगत यह मानता है कि मां की तरह सहज, सरल, निस्वार्थ और प्रेम पूर्ण होना ही व्यक्तित्व को पूर्णता देता है। आज मदर्स डे मनाया जा रहा है। कुछ लोग पश्चिम की संस्कृति के तौर पर इसका विरोध भी करते हैं। किंतु मैं कहता हूं कि हर दिन व्यक्ति के चिंतन का दिन होना चाहिए। मातृ दिवस पर भी हम सभी को मां के गुणों को आत्मसात करके मां जैसा निस्वार्थ जीवन जीने का संकल्प दोहराना चाहिए।