
छत्तीसगढ़ का काश्मीर : चिल्फी घाटी बर्फ की चादर से ढंका
कवर्धा@Patrika. चिल्फी घाटी मिनी कश्मीर के नाम से कबीरधाम जिले के चिल्फी घाटी को पूरे प्रदेश में जाना जाता है। सतपुड़ा पर्वत कि मैंकल श्रेणियो मेंं स्थित होने एवं सघन साल वृक्षों से चौतरफा घिरे हजारों एकड़ में फैली जंगल चारो ओर साल की वृक्ष ही वृक्ष दिखाई देते हैं। वृक्षों से मध्यरात्रि में ओस की बूंदे नीचे गिरती है जिससे समूचा वनांचल छेत्र में पूरी रात सर्द मौसम हो जाता है।
14 जनवरी तक सर्द हवाओं के साथ कड़ाके की ठंड पड़ती है
न्यूनतम तापमान 4 सेल्सियस से 5 डिग्री तक नीचे चली जाती है तब जाकर ओस की बूंदे बर्फ के रूप में सूखी घास, पैरों की हरी पत्तियों, धान के खेत में रखे पैरों में उसके ऊपर जम जाती है। वही गांव में स्थित घास फूस मकानों की छतों में बर्फ के रूप में जम जाती है। लगातार तीसरे जिले सहित समूचे अंचल हाड कंपा देने वाली कड़ाके की ठंड पड़ रही है हर वर्ष दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक सर्द हवाओं के साथ कड़ाके की ठंड पड़ती है।
अलाव जलाकर पूरी रात तक ठंड से बचाव करते हैं
पूरा क्षेत्र बैगा आदिवासी बाहुल्य होने के साथ लोगों के पास ठंड से बचाव के लिए अपने घरों में पूरी रात अलाव जलाकर ठंड से अपनी बचाव करते हैं। आर्थिक तंगी के चलते आदिवासी लोग गर्म कपड़े कंबल चादर साल स्वेटर की जगह सिर्फ अलाव जलाकर पूरी रात तक ठंड से बचाव करते हैं। शाम के 4:00 बजते ही लोग अपने आशियाने में दुबक जाते हैं वनांचल में लोगों की दिनचर्या ही बदल गई है। सुबह सात के बजाय लोग आठ बजे बिस्तर छोड़ रहे हैं। ग्राम दुलदुला निवासी कृषक महा सिंह ने बताया कि अंचल में पड़ रही ठंड के साथ बर्फबारी से आलू, गोभी, चना, मसूर की फसलों में इसका ज्यादा असर पड़ रहा है।
बर्फबारी में फसलों की बर्बादी का लक्षण
बनाखोद्ररा निवासी कृषक सुमरन सिंह ने बताया कि बर्फबारी रवि सीजन की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाएगा। अभी पौधे छोटे हैं बर्फबारी फसलों में विपरीत असर पड़ रहा। पौधे बर्फबारी करण सुलझ जाते हैं जिसके कारण पौधों की वृद्धि रुक जाती है। उत्पादन में कमी आएगी। फसलों चना, मटर, आलू, गोभी, मसूर में अभी फल नहीं आए हैं। उससे पहले बर्फबारी में कड़ाके की ठंड के कारण समय से पूर्व फसलों की बर्बादी का लक्षण है।
Published on:
28 Dec 2018 09:31 am
बड़ी खबरें
View Allभिलाई
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
