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कोरोना कोविड-19 : साहब घर जाने दीजिए, पिता जी की मृत्यु हो गई, अंतिम संस्कार करना है

आवश्यक कार्यो से घर लौटने के लिए अनुमति मांगने परिवहन विभाग और पुलिस थाना में 150 से भी अधिक आवेदन हैं। लोगों बताया कि अनुमति मिल भी जाती है तो आने जाने की दिक्कत है।

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दुर्ग@Patrika. राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन की वजह से पूरे देश में जनजीवन ठहर गया है। स्थिति ऐसी भी हो गई है कि कई घरों में अर्थी को कंधा देने वाला नहीं है। शव को घर पर रखकर परिवार के सदस्य अपनों के आने का रास्ता देख रहे हैं जो दूसरे जगहों पर रहते हैं। कई ऐसे है जो जिंदा रहने ब्लड ट्रांसप्लांट करने के लिए दिन गिन रहे है। आवश्यक कार्यो से घर लौटने के लिए अनुमति मांगने परिवहन विभाग और पुलिस थाना में 150 से भी अधिक आवेदन हैं। लोगों बताया कि अनुमति मिल भी जाती है तो आने जाने की दिक्कत है। अभी ट्रेन चल रही न बस और न फ्लाइट। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि अनुमति आदेश में वीकल का नंबर आवश्यक है, ताकि आदेश में उस वाहन का नंबर उल्लेख किया जा सके। यही कारण है कि आवेदन प्रस्तुत करने से पहले लोगों को वाहन की व्यवस्था करने भटकना पड़ रहा है।

लॉकडाउन में फोन नंबर बना सहारा
कई लोग ऐसे है जिन्हें टैक्सी नसीब नहीं हो रही है। लोग सोशल मीडिया में कारण बताते हुए टैक्सी चालक का नंबर उपलब्ध कराने अपील कर रहे है। ऐसे समय पर सोशल मीडिया से जुड़े कई टैक्सी चालक संपर्क कर उस व्यक्ति को मदद भी कर रहे हैं।

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ऐसे आवेदन आए अफसरों से पास
कारण आवेदन
मेडिकल इंटर्नशिप ज्वाइन- 7
माता या पिता का देहांत -17
अस्थि विसर्जन -1
ब्लड चेंज -1
ईलाज के लिए बाहर जाना -22
पत्नी की डिलिवरी के लिए -1

मेडिकल ऑफिसर के रुप में ज्वाइन करने- 1

परिवार गांवों या फिर दूसरे शहर में निवासरत

शहर में लोग बाहर से आकर बसे हुए है। परिवार गांवों या फिर दूसरे शहर में निवासरत है। किसी को आभास भी नहीं था कि कोरोना का कहर इस कदर हावी होगा। अब आवश्यकता पडऩे पर भी अपने परिवार के सदस्यों से मिलना नसीब नहीं हो रहा है। स्थिति ऐसे हो गई है कि अब प्रशासन के अधिकारियों के सामने हाथ जोड़ यह कहते हुए खड़े है कि साहब घर जाने दो मां, पिता या फिर भाई की मृत्यु हो गई है। घर पहुंचकर अंतिम संस्कार करना है। वहीं कुछ लोग ऐसे है जो अधिकारी को बता रहे है कि वे मेडिकल पेशे से जुड़े है और सेवा कार्य के लिए उन्हें ज्वाइन करना बेहद आवश्यक है।

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