कोरोना के भय के कारण कोई शव के करीब नहीं जा रहा था। आसपास के लोग मदद करने सामने नहीं आ रहे थे। वहां मौजूद पुलिस भी लाचार होकर खड़ी रही। बाद में सिटी कोतवाली पुलिस ने जैसे-तैसे हाइवे पेट्रोलिंग के कर्मचारी व एक अन्य को ग्लब्स सैनिटाइज व साबुन की व्यवस्था कराया। इसके बाद वे बायपास के नीचे पेड़ की छाव में चटाई के ऊपर रखे गए शव को उठाकर पहले पॉलीथीन में पेक किया। इसके बाद उसे उठाकर शव वाहन से मॉरच्यूरी पहुंचाया गया।
पुलिस ने झारखंड के जगसिमर (भेलवाघाटी) थाना पुलिस से संपर्क कर मृतक परिवार को सूचना देने व बात कराने का अनुरोध किया। परिजन से बात करने के बाद पुलिस हैरान रह गई। उन्हें अलसुबह ही घटना की सूचना मिल गई थी।
परिजनों से दुर्ग टीआई राजेश बागड़े ने जब बात की तो खुलासा हुआ कि कि मृतक के साथ उसका दोस्त भी था। दोनों मजदूरी करने मुंबई गए थे। कोरोना की वजह से जब मुंबई में घेराबंदी होने लगी और लॉकडाउन पर आवगमन का संसाधन पूरी तरह बंद हो गया तब दोनों ने गृह ग्राम लौटने का निर्णय लिया। इसी बीच विनोद की तबीयत बिगड़ी और मृत्यु हो गई। दोस्त की मृत्यु होने से वह घबरा गया और शव को चटाई में लिटाकर वह भाग निकला। रास्ते से ही मृतक के दोस्त ने परिवार को घटना की सूचना दी और फोन का स्वीच ऑफ कर दिया। दोनों मुंबई से पैदल आ रहे थे कि बीच में किसी से लिफ्ट लिए, इसकी जानकारी नहीं किसी को नहीं है।
भेलवाघाटी के ग्राम गंरग में भी कोरोना का दहशत है। मृतक का परिवार बेहद गरीब है। वे ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे। पुलिस ने जब शव लेने के लिए परिवार के सदस्यों को बुलाया तो कोरोना का नाम लेते हुए साफ तौर पर इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने स्वयं के खर्च से शव को उनके गृह ग्राम भेजने की बात कही। तब भी परिवार के सदस्य शव लेने तैयार नहीं हुए। दुर्ग पुलिस ने झारखंड पुलिस से परिवार वालों से मुलाकात कर स्थिति स्पष्ट करने कहा है।
मृतक विनोद को रेड जोन मुंबई से लौटने की पुख्ता जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी। इसके बाद स्वाथ्य विभाग के लैब टेक्नीशियन ने मॉरचूरी पहुंचकर स्वाब सैंपल लिया। पुलिस का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद वे पंचनामा और पोस्टमार्टम कराएंगे। पोस्टमार्टम से ही मृत्यु के कारणों का खुलासा होगा। टीआई सिटी कोतवाली राजेश बागड़े ने बताया कि मृतक युवक का शिनाख्त आधार कार्ड से हुआ। मृतक के साथ उसका दोस्त भी था। उसका मोबाइल बंद है। बात होने से स्पष्ट होगा कि वे पैदल थे या फिर लिफ्ट लेकर आ रहे थे। पोस्टमार्ट के बाद परिजनों से शव सुपर्दनामा को लेकर चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही वे किसी तरह का निर्णय लेंगे।