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उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन में लापरवाही, पहले फेल, दोबारा जांच में बढ़ गए 30% तक अंक

Bhilai News: हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने हाल ही में पुनर्मूल्यांकन के नतीजे जारी किए हैं। अब इनसे विश्वविद्यालय का मूल्यांकन सिस्टम सवालों के घेरे में आ गया है।

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Negligence in answer book evaluation

उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन में लापरवाही

भिलाई। Chhattisgarh News: हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने हाल ही में पुनर्मूल्यांकन के नतीजे जारी किए हैं। अब इनसे विश्वविद्यालय का मूल्यांकन सिस्टम सवालों के घेरे में आ गया है। सैकड़ों विद्यार्थियों को प्रथम मूल्यांकन में मिले अंक पुनर्मूल्यांकन में 20 से 30 फीसदी तक अचानक बढ़ गए हैं। इनकी कॉपियों को विश्वविद्यालय ने तीन स्तर के प्रोफेसरों से जंचवाया है। इसके बाद पुष्टि हुई है कि वास्तव में प्रथम मूल्यांकन में उक्त विद्यार्थियों को कम अंक दिए गए। दोबारा से जांच कराने पर यह गलती पकड़ में आई।

इसके बाद उक्त विद्यार्थी पूरक से पास किए गए। हाल ही में जारी हुए बीए भाग-1 पुनर्मूल्यांकन के नतीजों में कुल 429 विद्यार्थियों के अंक बढ़े हैं। इसी तरह दोबारा से हुई उत्तरपुस्तिका की जांच के बाद 285 ऐसे विद्यार्थी जो पहले पूरक दिए गए थे, वे सभी पास हो गए। यही नहीं 49 विद्यार्थियों की कॉपियां दोबारा जांचने पर 20 से 30 फीसदी तक नंबर बढ़े हैं। दुर्ग संभाग के निजी व शासकीय कॉलेजों में हेमचंद विश्वविद्यालय के मूल्यांकन को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं गर्म हैं।

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बाहर भेजी गईं उत्तरपुस्तिका

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा की उत्तरपुस्तिका बाहरी मूल्यांकनकर्ताओं ने जांची। इसमें सबसे अधिक निजी कॉलेजों के प्रोफेसर रहे। दुर्ग संभाग के रिटायर्ड प्रोफेसरों ने बताया कि विवि से जांच के लिए उत्तरपुस्तिका देने की स्थिति में गुणवत्ता को तरजीह नहीं दी गई। निजी कॉलेजों के परिनियम-28 वाले शिक्षकों से लेकर जनभागीदारी मद से कार्य कर रहे शिक्षकों से भी उत्तरपुस्तिका जांच कराई गई। नियम है कि एक विषय में अधिकतम 50 हजार रुपए तक के मूल्यांकनकार्य किए जा सकते हैं। ऐसे में निजी कॉलेजों के शिक्षकों ने धड़ल्ले से उत्तरपुस्तिका जांचीं।

क्या पहले गलत जांची कॉपियां

आम तौर पर हर प्रोफेसर का उत्तरपुस्तिका जांचने का तरीका अलग होता है। कोई एक उत्तर के लिए 5 अंक दे सकता है तो कोई उसी के 7 अंक भी देता है। दस फीसदी का अंतर सामान्य माना जाता है। इस केस में विद्यार्थियों के अंक 20 से 30 फीसदी तक बढ़ गए हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या प्रथम मूल्यांकन में ही उत्तरपुस्तिका की जांच गलत तरीके से या लापरवाही से की गई? ऐसा नहीं है कि पुनर्मूल्यांकन के बाद विद्यार्थियों के अंक सिर्फ बढ़े हैं, बल्कि सैकड़ों विद्यार्थियों के अंक घटे भी हैं। दोबारा उत्तरपुस्तिका जांच के बाद बीए, बीएससी और बीकॉम के 730 विद्यार्थियों के अंक घट गए।

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किस तरह की कार्रवाई होगी, इसे लेकर करेंगे

1. पुनर्मूल्यांकन में सैकड़ों छात्रों के अंकों में 30 फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई है, क्या प्रथम मूल्यांकन में लापरवाही हुई?
जवाब : हर प्रोफेसर अपने स्तर पर उत्तरपुस्तिका जांचता है। रीवेल में तीन प्रोफेसर से एक कॉपी का मूल्यांकन कराया गया है। इसके बाद अंकों में परिवर्तन आया है।

2. जिनके अंक बढ़े हैं उन विद्यार्थियों को बेवजह परेशान होना पड़ा है, लापरवाही के लिए जिम्मेदार मूल्यांकनकर्ता पर कार्रवाई होगी?
जवाब : कार्रवाई को लेकर अभी कुछ नहीं कह पाऊंगा। डिबार करने या किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए कुलपति से चर्चा करेंगे।

पुनर्मूल्यांकन के बाद ऐसे बदले अंक













































































क्लासअंक बढेपूरक से पास20%परिवर्तन30%परिवर्तनअंक घटे
बीकॉम-1161134280355
बीकॉम-2238180352027
बीकॉम-38988230998
बीएससी-12601206010115
बीएससी-256425411116129
बीएससी-3325166621326
बीए- 14292583910102
बीए -250736921856178

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