
रिसर्च टीम में शामिल सदस्य (Photo Patrika)
IIT Bhilai: अकसर होता है कि दो या चार पहिया वाहन चलाते समय छोटे-मोटे डेंट या स्क्रैच आ जाते हैं। यह स्क्रैच भले ही छोटे दिखते हैं, लेकिन इन्हें ठीक कराने का खर्चा महंगा पड़ता है। आम जिंदगी की इस समस्या को समाधान आईआईटी भिलाई ने खोज ली है। आईआईटी भिलाई की रिसर्च टीम ने ऐसा विशेष पॉलीमर तैयार कर लिया है, जो डेंट और स्क्रैच को खुद-ब-खुद ठीक कर देगा। यानी आपको इसे ठीक करवाने नहीं जाना होगा। यह नया पॉलीमर एक स्मार्ट शील्ड की तरह काम करता है। सामान्य स्थिति में यह कठोर रहता है, लेकिन जैसे ही इस पर कोई अचानक झटका या दबाव पड़ता है, यह हल्का नरम होकर उस ऊर्जा को सोख लेता है। इससे दरार पडऩे या टूटने का खतरा कम हो जाता है। यदि फिर भी कोई खरोंच या हल्का कट लग जाए, तो यह खुद ही ठीक हो जाता है।
सबसे खास बात यह है कि यह पॉलीमर कम लागत में और बड़े पैमाने पर बनाया जा सकता है, जिससे इसका औद्योगिक उपयोग आसान हो जाएगा। यह ऊष्मीय रूप से स्थिर है और कई बार इस्तेमाल के बाद भी अपनी खासियत नहीं खोता। इससे आप बिना डरे अपनी गाडिय़ों को दौड़ा सकेंगे। आईआईटी टीम ने बताया कि इस विशेष पॉलीमर का इस्तेमाल सिर्फ गाडिय़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि विमानों और सेटेलाइट में उपयोग किया जा सकेगा।
आईआईटी भिलाई के शोधकर्ताओं की टीम के स्वरूप माईती, प्रियंक सिन्हा, कौशिक माहाता ने रसायनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. संजीब बनर्जी के मार्गदर्शन में इसे इजाद किया है। आईआईटी के रिसर्च ने इस खास पॉलीमर को सेल्फ-हीलिंग मटेरियल नाम दिया है।
सेल्फ हीलिंग मटेरियल के जरिए एयरोस्पेस विमान के छोटे-मोटे नुकसान अब उड़ान के दौरान ही ठीक हो सकते हैं, जिससे मरम्मत का समय और खर्च बचेगा।
सेना और पुलिस के लिए बने बॉडी आर्मर और स्पोर्ट्स गियर अब और भी ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बनेंगे।
बार-बार मरम्मत और बदलने की जरूरत कम होने से कार्बन उत्सर्जन और कचरा भी घटेगा, जो पर्यावरण के लिए एक बड़ा कदम है।
रिसर्च टीम के सदस्यों ने बताया कि, इसका बड़ा फायदा ईवी गाडिय़ों की बैटरी की सुरक्षा में होगा। आम तौर पर इलेक्ट्रिक गाडिय़ों के एक्सीडेंट के दौरान हाई इम्पैक्ट की वजह से बैटरी में ब्लास्ट होने की आशंका रहती है। वहीं कई बार लीकेज होने पर भी आग लग सकती है। इस सेल्फ हीलिंग मटेरियल की मदद से इस समस्या से बचा जा सकता है। बैटरी पर हीलिंग मटेरियल की कोटिंग के बाद इम्पैक्ट होने की स्थिति में बैटरी को सुरक्षित रखा जा सकता है।
हीलिंग मटेरियल इम्पैक्ट को कम करते हुए अवशोषित (ऑब्जर्व) कर लेगा, जिससे आग लगने की आशंका कम हो जाएगी। ये रिसर्च प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल एडवांस फंक्शनल मटेरियल में प्रकाशित हुई है। यह खोज न सिर्फ भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक गर्व का क्षण है, बल्कि यह भविष्य में कई उद्योगों की सुरक्षा और टिकाऊपन को भी नई दिशा दे सकती है।
यह नवाचार हमें मटेरियल की मजबूती को लेकर अपनी सोच बदलने पर मजबूर करता है। इसका उपयोग ईवी बैटरी से लेकर विमान के हिस्सों और बॉडी आर्मर तक में किया जा सकता है।
प्रो. संजीब बनर्जीआईआईटी भिलाई
Published on:
17 Sept 2025 01:10 pm
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