
Patrika Parenting: सर, 12 वीं में मेरे सिर्फ 72% आए हैं..क्या आगे में कुछ नहीं कर पाउंगी, सवाल सुनकर कोच रह गए हैरान
भिलाई. सर्टिफाइड पैरेंटिंग कोच चिरंजीव जैन और कॅरियर काउंसलर डॉ. किशोर दत्ता बतौर एक्सपर्ट पैरेंट्स की दुविधा दूर कर रहे थे। तभी अचानक एक छात्रा खड़ी हुई और सहमी हुई आवाज में बोली..., सर कुछ अच्छा करने क्या स्कूल के परसेंटेज बहुत ज्यादा मायने रखते हैं क्या? मेरे तो १२ वीं में बस, 72 फीसदी अंक आए हैं, क्या मैं आगे कुछ नहीं कर पाऊंगी? जैसे ही यह सवाल उठा पूरे हॉल में शांति सी छा गई।
सभी जवाब के लिए एक्सपट्र्स की ओर देखने लगे। मुस्कुराते हुए एक्सपर्ट ने जवाब दिया, बेटा 72 फीसदी का मतलब है कि आप डिक्टेंशन से सिर्फ 3 अंक कम हो यानि आप ब्रिटियंट स्टूडेंट हो। ७२ फीसदी बहुत अच्छा स्कोर है। इससे कम भी आते तो कोई दिक्कत नहीं थी, क्योंकि आगे का भविष्य स्कूल के रिपोर्ट कार्ड से तय नहीं होगा, बल्कि कॉम्पीटिशन को जो फेस करेगा, मंजिल उसी को मिलेगी। ऐसे भी कई छात्र हैं, जो एवरेज में पास होते हैं, लेकिन आप देखिए बड़ी एमएनसी से लेकर कलेक्टर तक बस कुछ वहीं बनते हैं।
कार्यक्रम में पत्रिका भिलाई के यूनिट हेड अखिलेश तिवारी और स्थानीय संपादक नितिन त्रिपाठी भी एक्सपर्ट के रूप में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि संस्कारों की असल पाठशाला आपका घर है। पैरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों में अच्छे संस्कार डालें। पैरेंट्स अपने बच्चों के आदर्श बनें। बच्चों को भी यह समझना होगा कि उनके सच्चे हितैशी सिर्फ दो लोग हैं। एक पैरेंट्स और दूसरे गुरू। इसलिए हमेशा दोनों का सम्मान करें।
कार्यक्रम के सफल संयोजन में विद्यालय के डायरेक्टर सुरेश कुमार मालवीया, प्राचार्य, रमा मालवीया, स्कूल प्रभारी रामपाल साहू और किशोर झा का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन पत्रिका रिपोर्टर दाक्षी साहू ने किया। कार्यक्रम में मौजूद पैरेंट्स और विद्यार्थियों को एक्सपर्ट ने अपने कॉन्टेक्ट नंबर भी उपलब्ध कराए जिससे वे सुझाव के लिए कॉल कर पाएंगे।
यह सीन रविवार को पत्रिका और सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज की ओर से नंदिनी रोड सुभाष नगर के ओम शिव शक्तिविद्यालय का है, जहां पैरेंट्स के साथ-साथ दर्जनों स्टूडेंट्स भी अपने सवालों का हल जानने पहुंचे थे। इस दौरान कोच चिरंजीव जैन ने पैरेंट्स से कहा कि यदि अगर आपकी बच्चों के साथ कम बात हो रही है तो सतर्क हो जाइए। अभी भी वक्तहै अपने बच्चों को समय दीजिए। यदि बच्चों के साथ प्रॉपर कम्युनिकेशन नहीं होगा तो दोनों के बीच गैप बढ़ेगा।
पालकों और स्टूडेंट ने पूछे इस तरह के सवाल
Q आज के बच्चे बहुत ज्यादा झूठ बोलने लगे हैं, हमारी कोई बात नहीं सुनते, क्या करें?
A बच्चे वही सीखते हैं जो वे ऑब्जर्व करते हैं। सबसे बेहतर होगा कि पैरेंट्स उनके लिए आइडल बनें। सिगनल तोडऩे से लेकर फोन पर लोगों से बहाना करना जैसा सबकुछ बच्चों पर असर डालता है। ये छोटी बातों को हम भूल जाते हैं पर बच्चे नहीं। उन्हें लगता है पापा भी तो ऐसे ही करते हैं, तो हम क्यों नहीं।
Q मेरा बेटा 12वीं में गया है, उसका ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता। पूछा तो कहता है और पढऩे का मन नहीं?
A यह अरुचि की वजह से होता है। आप एक दोस्त की तरह उससे अरुचि का कारण पूछिए। आप उससे फ्रेंडली होंगे तो वह सारी बातें बताएगा। हो सकता है, उसे पढ़ाई से बेहतर खेल या कुछ और लगता हो। बात करने से ही बात बनेगी।
Q बच्चे मोबाइल के आदि हो गए हैं, उन्हें मोबाइल पर अधिकतम कितने वक्तरहने दें?
A मोबाइल बुरा नहीं, पर इसकी आदत कम उम्र में न हो तो ही बेहतर है। बच्चों को अधिकतम ३० मिनट के लिए ही मोबाइल दें। ऐसे गेम्स न खेलने ने दो अग्रेसिव हो, सोशल नेटवर्क साइट के लिए भी लिमिट सेट करें।
Qमैं पॉलीटेक्निक करना चाहता था, पापा तो एग्री थे, मगर मम्मी ने १२वीं के बाद ही कुछ सोचने को कहा। मेरा सपना टूट गया?
A बिल्कुल नहीं, आपकी मम्मी ने बेहतर सुझाव दिया। १२वीं के बाद आपको हजारों नए रास्ते मिलेंगे। पॉली करने के बाद आप सीमित हो जाते। १२वीं कीजिए फिर आईआईटी या पीईटी से दाखिला लें। आपको सपना नहीं टूटा, बल्कि अब आप सही दिशा में जा रहे हैं।
Q मेरी फैमिली चाहती है कि मैं आर्मी में जाऊं पर मैं आगे पढऩा चाहता हूं। क्या करूं?
A अभी आप १२वीं में है, आप चाहें तो दोनों के सपने पूरे हो सकते हैं। आप सीडीएस यानि कंबाइंड डिफेंस सर्विस के जरिए सेना ज्वाइन कर सकते हैं। तब तक कॉलेज की पढ़ाई जारी रखें। सीडीएस के जरिए बड़ा ओहदा भी मिलेगा।
Q मेरा बेटा जो पढ़ता है, थोड़ी ही देर में वह सब भूल जाता है, ये क्यों हो रहा है, कैसे ठीक करें?
A आप अपने बच्चे के पढऩे का तरीका बदलें। असल में बच्चे तीन तरीकों से सीखते है। सुनकर, देखकर और बोलकर। आप इनमें से एक ऑब्जर्व करें। यदि वह जोर-जोर से बोलकर पढ़ता है तो हो सकता है उसे चीजें याद रहे।
Q मैं अभी ११ में हूं। आईआईटी करना चाहता हूं। इसके लिए क्या एक साल का ड्रॉप लेकर कोचिंग करनी होगी?
A ऐसा कुछ नहीं। आप ११वीं से ही जेईई की तैयारी शुरू कर दीजिए। साथ-साथ स्कूल जारी रहने दें। १२वीं में रहते हुए आप एंट्रेंस दे सकते हैं। ड्रॉप लेने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं होती है। दो साल की मेहनत जेईई क्लीयर करने
काफी है।
Q मैं एमबीबीएस करना चाहती थी, लेकिन एक साल का ड्रॉप लेने के बाद भी अंक बेहतर नहीं आए। डेंटल लेकर क्या कॅरियर ग्रो करेगा?
A डेंटल में कोई बुराई नहीं। बल्कि यह सुपर ग्रोइंग है। एमबीबीएस नहीं मिलने पर डेंटल ज्वॉइन किया जा सकता है। धीरे-धीरे अपनी डिग्री अपग्रेड करते जाइए। फिर देखना शहर में जितना मान एमबीबीएस को मिलता है, वैसे ही लोग आपको बतौर डेंटिस्ट तवज्जो देंगे। क्योंकि आप काबिल होंगे।

Published on:
29 May 2018 12:50 pm
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