
फौलादी इस्पात बनाने वाला SAIL अब भिलाई में बनाएगा स्टील के सस्ते और टिकाऊ मकान
पंकज तिवारी @भिलाई. एक ऐसा मकान जिसकी दीवारें और छत लोहे की होगी। र्इंट की जुड़ाई होगी और न सीमेंट की परत लगी होगी। कम लगत में यह मकान फटाफट बनकर तैयार हो जाएगा। इसी तरह के आवास बनाने की योजना देश की स्टील सेक्टर की सबसे बड़ी कम्पनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड SAIL (सेल) ने बनाई है। जिसमें सेल के ही उत्पाद का अधिक से अधिक उपयोग होगा।
इस्पात मंत्रालय, आईएनएसडीएजी कम लागत वाले आवास डिजाइन के आइडिया पर काम कर रहा है, और इसके लिए सेल ने अपनी सबसे विश्वसनीय इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र ( बीएसपी ) को चुना है। सेल अपने कर्मचारियों के लिए मजबूत और सुरक्षित मकान बनाने को मूर्त रूप देने के कॉन्सेप्ट पर काम कर रहा है। बीएसपी के अधिकारियों के अनुसार दो-तीन अलग-अलग डिजाइन केंद्रीय मंत्रालय दिल्ली को भेजी है। जिस डिजाइन पर मंजूरी मिलेगी उस पर काम शुरू किया जाएगा।
पहले मॉडल के रूप में निर्माण के लिए जगह का चयन
शुरुआत में मॉडल के रूप में निर्माण होगा। बीएसपी के अधिकारियों ने टाउनशिप में सेक्टर-6 में इसके लिए स्थल चयन भी कर लिया है। अधिकारियों ने बताया कि मॉडल को सेल के अनुभवी आर्किट्रेक्चर ने तैयार किया है। इसके लिए सेक्टर-6 सतनाम भवन के पीछे जर्जर आवासों को तोड़ा जा चुका है। यहीं आवास का पहला मॉडल बनाया जाएगा।
सेल के उत्पाद से होगा पूरा निर्माण
सेल अपनी विभिन्न इकाइयों में गुणवत्तापूर्ण स्टील का निर्माण करता है। भूकंप और जंगरोधक टीएमटी, स्टेनलेस स्टील, आयरन रॉड, शेड, प्लेट्स आदि उत्पाद से नींव, बीम, कॉलम, लोड गणना, स्लैब छत निर्माण करने का प्लान है। अधिकारियों का कहना है कि तीन माला (1बीएचके) बिल्डिंग का निर्माण पहले होगा। लागत के विषय में अधिकारियों ने बताया जैसे एक हजार वर्गफीट निर्माण में करीब 15 लाख लगते हैं तो इस तरह बने मकान में 30 से 40 फीसदी कम लागत लगेगी। खूबी यह है कि इससे बने मकान को तोडऩे पर निकले मटेरियल का पुन: उपयोग भी किया जा सकेगा।
इस तरह होगी दिवारों की जुड़ाई
शहर के बदलते मौसम के हिसाब से एनर्जी एफिशिएंसी वाले आवास की नींव आयरन रॉड व सीमेंट से डाली जाएगी और बाकी दीवारें व छत स्टील से बनेगी। जिन्हें आपस में जाडऩे के लिए नट-बोल्ट व प्री फेब्रिकेशन सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इससे सर्दी व गर्मी में तापमान सामान्य ही रहेगा।
इसलिए स्टील आवास निर्माण का निर्णय
भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के समय बने टाउनशिप के आवास अभी बालू, मुरुम, ईंट और सीमेंट से तैयार किए गए है। अब 60 साल में पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। इन आवासों के छज्जे गिरने लगे हैं बारिश के समय छतों से पानी टपकने व दीवारें से पानी रिसने लगी है। जिससे टाउनशिप में कई बड़े हादसे भी हो चुके हैं। इन मकानों के मेंटनेंस में बीएसपी को हर साल बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है। स्टील आवास से यह समस्या नहीं रहेगी।
सेल को फायदा-स्टील को मिलेगा ज्यादा घरेलू बाजार
अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय इस्पात नीति और घरेलू रूप से निर्मित आयरन एंड स्टील उत्पाद के साथ गुणवत्तायुक्त मकान को घरेलू बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस दिशा में काम हो रहा है। सफलता मिलने पर राज्य सरकार भी इस तरह के आवासों की डिमांड कर सकती है। जिससे अन्य क्षेत्रों में भी सस्ते व मजबूत भवनों का निर्माण ज्यादा हो सकेगा।
फैैक्ट फाइल
भिलाई इस्पात संयंत्र में
17,000 नियमित कर्मचारी
3041 अधिकारी
33,320 आवासों की संख्या
28 हजार कार्मिक आवास में रहते है
एक्सपर्ट व्यू
डॉ. मनोज वर्मा इंजीनियर स्टील टेक्नोलॉजी गेस्ट फेकल्टी, छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानन्द तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई ने बताया कि स्टील के घर अधिकतर यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में बनते हैं। इस तरह के घर बहुत मजबूत होते हैं। रेजिस्टेशन पॉवर अधिक होने के कारण भूंकप आदि का इन असर नहीं होता। सूर्य की सीधी किरणें न पड़े, घर के अंदर ठंडक बनी रहे, इसके लिए दो स्टील की चादरों के बीच फोम रबरशीट का उपयोग भी कर सकते हैं। प्री-कास्ट कंस्ट्रक्शन मेथडोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए, इस तरह के मकान बनाए जाते हैं। प्री-कास्ट तकनीक में होता ये है कि पहले लोहे के सांचों के बीच कंक्रीट भर दिया जाता है। इस टेक्निक से जल्द कंट्रेक्शन पूरा हो जाता है।
वर्जन
बीएसपी अपनी अनफिट बिल्डिंगों को तोडऩे की कार्रवाई कर रहा हैं। सेक्टर-6 के अनफिट मकान तोड़े गए है। स्टील आवास की डिजाइन मंत्रालय भेजी गई है। कोरोना संकट के कारण इस योजना पर असर पड़ा है। मंत्रालय के आदेश का इंतजार है।
जैकब कुरियन, महाप्रबन्धक
जनसम्पर्क भिलाई इस्पात संयंत्र
Published on:
08 Jun 2020 01:20 pm
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