
CG News: @ सरिता दुबे। एक समय ऐसा भी था जब गरियाबंद के कोड़मल गांव की सविता साहू कुछ नहीं जानती थी, लेकिन अब वही सविता कई गांव की महिलाओं को जैविक खेती सिखा रही हैं। 25 साल की उम्र में पति के न रहने पर अपने तीन बच्चों की जिमेदारी उठाना सविता को असंभव लग रहा था, क्योंकि वो कभी घर से बाहर भी नहीं निकली। उसे किसी भी तरह की जानकारी नहीं थी। इसके अलावा उन्हें शासन की किसी भी योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा था। साल 2016 में लोक आस्था सेवा संस्थान से सविता के जुड़ाव ने उसका जीवन इस कदर बदला कि वो सशक्त बन अब अपनी जैसी महिलाओं को सशक्त बना रही हैं।
सविता खेती मित्र बनकर लोगों को, खासकर महिलाओं को, जैविक खेती करने के तरीके बताती हैं। साथ ही बेसहारा महिलाओं को शासन की योजनाओं की जानकारी देकर उसका लाभ दिलाती हैं। आज वह अपने जीवन-यापन के लिए हर वो काम करती है जो परिवार को आर्थिक संबल देता है। सविता कहती हैं कि महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर सकती हैं। उनमें हर काम को करने की क्षमता होती है। परिस्थितियां भले ही विपरीत रहे लेकिन आपका स्वविवेक और मजबूत इच्छाशक्ति ही आपको सशक्त बनाती है।
सविता अब महिलाओं को कानून की जानकारी देती हैं। उनके हक की बात बताती हैं। सविता ने 64 गांवों की महिलाओं को संगवारी महिला मंच से जोड़ा। वह इस मंच की कोर कमेटी को सदस्य हैं और इसमें 1७०० महिलाएं जुड़ी हैं। सविता महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए कई तरह के प्रशिक्षण देती हैं।
तीन बच्चों की जिमेदारी ने सविता को बहुत सशक्त बना दिया और वह पढ़ाई के महत्व को भी समझ गई है। इस कारण ही वह गांव की महिलाओं को शिक्षा से जोड़ने के साथ ही उन्हें बच्चों की शिक्षा का महत्व बता रही हैं। अपने तीनों बच्चों को पढ़ाई करा रही सविता कहती हैं कि बच्चों को बहुत पढ़ाना है इस कारण ही मैं खेती से जुड़े हर तरह के काम करती हूं।
Updated on:
16 Nov 2025 08:55 am
Published on:
16 Nov 2025 08:54 am
